Top
Begin typing your search above and press return to search.

कश्मीर की पार्टियां अलगाववादी भावनाएं भड़का रहीं हैं : भाजपा

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने यहां फेसबुक ब्लॉग में लिखा कि जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की दोनों पार्टियां लगातार अपनी पहचान खोती जा रहीं हैं

कश्मीर की पार्टियां अलगाववादी भावनाएं भड़का रहीं हैं : भाजपा
X

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 35 ए को लेकर की जा रही बयानबाज़ी पर करारा जवाब देते हुए सोमवार को कहा कि ये राजनीतिक दल गैरजिम्मेदाराना बयानों से अलगाववादी भावना को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं जिसे नये भारत में कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने यहां फेसबुक ब्लॉग में लिखा कि जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की दोनों पार्टियां लगातार अपनी पहचान खोती जा रहीं हैं। अलगाववादी और आतंकवादी राज्य के एक हिस्से को भारत से पृथक देखना चाहते हैं। भारत इसे कदापि स्वीकार नहीं करेगा। यह संदेश अलगाववादियाें/आतंकवादियों तथा पाकिस्तान दोनों को स्पष्ट रूप से दे दिया गया है कि आज़ादी की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। यह सरासर असंभव है।

श्री जेटली ने कहा कि दोनों पार्टियों -नेशनल काॅन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बयान आये हैं कि भारत एवं जम्मू कश्मीर का संवैधानिक संपर्क अनुच्छेद 35 ए में दिये गये आश्वासन पर आधारित है। अगर अनुच्छेद 35 ए नहीं है तो इससे संपर्क समाप्त हो जाएगा। कुछ लोगों ने तो यह तर्क भी दिया कि दो संवैधानिक प्रावधानों के कारण एक ऐसा संपर्क बना है जिसे वापस लिया जा सकता है। अत: इस व्यवस्था को बनाये रखना चाहिए।

उन्होंने साफ शब्दों ने कहा कि यह तर्क पूरी तरह से अस्वीकार्य हैै। अनुच्छेद 35 ए अक्टूबर 1947 में विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय नहीं था। वर्ष 1950 में जब संविधान लागू हुआ, यह तब भी नहीं था। इस अनुच्छेद को 1954 में चुपके से डाल दिया गया। यह किस प्रकार से आवश्यक संवैधानिक संपर्क हो सकता है। इस चुनौती की उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा है।

श्री जेटली ने कहा कि इस मामले की सुनवाई कर रही अदालत को आखिर क्यों धमकाया जा रहा है। अदालत के फैसलों से इतिहास नहीं पलटा जा सकता है। इसलिए अनुच्छेद 35 ए के हटने से जम्मू कश्मीर के साथ भारत का संबंध समाप्त होने का तर्क उसी प्रकार से बेतुका है जैसे यह कहना कि यदि ब्रिटेन की संसद भारत की स्वतंत्रता अधिनियम वापस ले ले तो हम अपनी स्वतंत्रता खो बैठेंगे।

उन्होंने कहा कि नेशनल काॅन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने यह बयान दिया है कि राज्य में वजीर ए आजम एवं सदर ए रियासत के पद बहाल किये जाएं। इसका एकमात्र उद्देश्य अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को कोई अहसास नहीं है कि ये देश का और अपने लोगों का कितना नुकसान कर रहे हैं। नये भारत में कोई सरकार एेसी गलतियां करने की इजाज़त कतई नहीं दे सकती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it