कश्मीर की मुख्यधारा के नेता अलगाववादियों से अधिक खतरनाक : जितेन्द्र सिंह
केन्द्रीय मंत्री ड़ा जितेन्द्र सिंह ने रविवार को कहा कि कश्मीर के तथाकथित मुख्यधारा के नेता अलगाववादी नेताओं से भी अधिक खतरनाक हैं

जम्मू। केन्द्रीय मंत्री ड़ा जितेन्द्र सिंह ने रविवार को कहा कि कश्मीर के तथाकथित मुख्यधारा के नेता अलगाववादी नेताओं से भी अधिक खतरनाक हैं क्योंकि अलगाववादियों के रूख का पूर्वानुमान है लेकिन इन नेताओं के रूख के बारे में कोई भी कुछ नहीं जानता हैं और वे राजनीतिक सुविधा के अनुसार अपना रूख तय करते हैं।
श्री सिंह ने मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर यहां भाजपा मुख्यालय में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि अलगावादी नेता दोष सिद्धी के कारण नहीं, बल्कि अपनी सुविधाओं के लिहाज से अलगाववादी है जबकि मुख्यधारा के ये नेता अपनी सुविधाओं के लिहाज से पाला बदलते रहते हैं और जरूरत पड़ने पर अलगाववादी बन जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर केन्द्रित राजनीतिक पार्टियां सुरक्षा बलों पर भी बहुत तेजी से उंगली उठाती हैं भले ही उनके पास कोई पुख्ता सबूत भी न हो क्योंकि उन्हें पता है कि एक जवान कुछ कर्तव्यों और फर्ज के साथ बंधा हैं और वह कोई जवाब भी नहीं दे सकता है।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के ये रहनुमा कभी भी इतना साहस नहीं रखते हैं कि किसी आतंकवादी को आतंकवादी तो कह दें।
आतंकवाद प्रभावित कश्मीर घाटी को “झूठे बौद्धिक दावों की उपजाऊ जमीन” करार देते हुए श्री सिंह ने कहा कि “बौद्धिक आतंकवाद” ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है और यह आतंकवादियों तथा उनके आकाओं के बीच गठजोड़ को पूरक की भूमिका निभाता है।
उन्होंने कश्मीरी विस्थापित पंडितों, पाकिस्तान से आए विभिन्न तरह के शरणार्थियों और अमरनाथ आंदोलन के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन का जिक्र भी किया। श्री सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में मानवाधिकारों की उचित निंदा के लिए एक जगह है लेकिन देश की अस्मिता और संप्रभुता की कीमत पर मानवाधिकारों के राजनीतिकरण के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता है।


