कश्मीर में बंद कामयाब क्योंकि फिर आरंभ हो चुका है गिलानी का हड़ताली कैलेंडर
कश्मीर में फिर से यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कश्मीर में फिर से चाचा हड़ताली अर्थात कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी का हड़ताली कैलेंडर कश्मीरियों का जीना हराम कर देगा

जम्मू। कश्मीर में पिछले कई दिनों से विभिन्न कारणों के के विरोध में जिस कश्मीर बंद का आह्वान अलगाववादियों ने किया था उसकी कामयाबी के बाद कश्मीर में फिर से यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कश्मीर में फिर से चाचा हड़ताली अर्थात कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी का हड़ताली कैलेंडर कश्मीरियों का जीना हराम कर देगा।
ऐसी आशंकाओं से कश्मीर इसलिए भी आशंकित हो गए हैं क्योंकि अलगाववादी नेता और पुलिस प्रशासन गिरफ्तारियांे को लेकर आमने-सामने हैं।
जबकि अल-कायदा कमांडर जाकिर मूसा की मौत के बाद वायरल हुए उसके वीडियो में कश्मीर के जेहाद को सिर्फ हड़ताजी जेहाद करार दिए जाने के बाद भी इन चर्चाओं ने जोर पकड़ा है कि आखिर हड़तालों की राजनीति कब बंद होगी।
कई पक्षों द्वारा बार-बार हड़ातालों पर सवाल उठाए जाने के बावजूद अलगाववादी अपने आंदोलन को तेज करने की ठान चुके हैं। नतीजतन आने वाले दिनों में हड़ताली कैलेंडर कश्मीरियों के लिए परेशानी पैदा करने वाला है इस सच्चाई से अब सभी रूबरू होने लगे हैं।
कश्मीर में 30 सालों के आतंकवाद के दौरान कश्मीर लगभग 8 साल के बंद और हड़तालों को देख चुका है जिसमें कश्मीर के व्यापारियों तथा आम जनता को अरबों का घाटा हो चुका है।
बंद तथा हड़ताल की राजनीति का विरोध करने वालों में अब सिर्फ अलगाववादी नेता ही नहीं बल्कि आतंकी नेता भी शामिल हो गए हैं। ताजा घटनाक्रम में जाकिर मूसा ने मरने से पहले रिकार्ड किए गए अपने वीडियो में लोगों को संदेश देते हुए कहा था कि कश्मीर में अगर सिर्फ बंद और हड़ताल की राजनीति ही की जाती रही तो कश्मीर को कभी आजादी नहीं मिल पाएगी और न ही इस्लामिक शासन हो पाएगा। नतीजतन इस वीडियो के बाद चाचा हड़ताली अर्थात सईद अली शाह गिलानी के हड़ताली कैलेंडर का जमकर विरोध होने लगा है।


