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करतारपुर गलियारा : श्रेय को लेकर विवाद के बीच बदला गया आधारशिला पत्थर

करतारपुर साहिब गुरुद्वारा गलियारा परियोजना से संबंधित औपचारिक सड़क शिलान्यास समारोह में सोमवार को उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और अन्य लोगों के सामने भारी राजनीतिक घमासान देखने को मिला

करतारपुर गलियारा : श्रेय को लेकर विवाद के बीच बदला गया आधारशिला पत्थर
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- जयदीप सरीन

डेरा बाबा नानक। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा गलियारा परियोजना से संबंधित औपचारिक सड़क शिलान्यास समारोह में सोमवार को उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और अन्य लोगों के सामने भारी राजनीतिक घमासान देखने को मिला। गलियारा परियोजना का श्रेय लेने की होड़ में पंजाब में एक-दूसरे की विरोधी पार्टियों के नेताओं ने नारेबाजी की।

नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा गलियारे से जोड़ने वाली सड़क परियोजना की अधारशिला यहां मान गांव में बटन दबाकर रखी।

वास्तविक आधारशिला पत्थर को समारोह से मात्र तीन घंटे पहले ही अधिकारियों ने हटा दिया। पंजाब के कैबिनेट मंत्री व डेरा बाबा नानक के विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पत्थर पर लिखे पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत बादल के नाम को लेकर तगड़ी आपत्ति जताई थी।

स्पष्ट रूप से नाखुश रंधावा ने घोषणा कर कहा कि वह 'आधारशिला पत्थर समारोह' का 'बहिष्कार' करेंगे। और तो और, उन्होंने पत्थर पर लिखे मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पंजाब के पीडब्ल्यूडी मंत्री विजय सिंघला और अपने खुद के नाम पर काली टेप चिपका दी थी। उनका कहना था कि हमारे नाम अकाली नेताओं के नाम के साथ नहीं होने चाहिए जिन्होंने (अकाली नेताओं ने) इस गलियारे के लिए कभी कुछ नहीं किया।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआई) के अधिकारियों ने महसूस किया कि उप राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी में हालात बिगड़ सकते हैं, जिसके बाद उन्होंने आधारशिला पत्थर को हटाकर उसकी जगह डिजीटल तरीके से आधारशिला का इंतजाम किया।

आधारशिला रखने के दौरान स्क्रीन पर उप राष्ट्रपति नायडू, पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बडनोर, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का नाम था।

इस समारोह का आयोजन भारत और पाकिस्तान की सरकारों द्वारा गलियारे को दी गई मंजूरी का जश्न मनाने के लिए किया गया था, ताकि इसके माध्यम से लोग पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक करतारपुर गुरुद्वारे में जाकर प्रार्थना कर सकें। लेकिन, अकाली दल व उसकी सहयोगी भाजपा और पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता न केवल एक-दूसरे को नीचा दिखाते हुए नजर आए बल्कि परियोजना को मंजूरी दिलाने का बढ़ चढ़कर श्रेय लेते दिखाई दिए। इसके साथ ही नेता उप राष्ट्रपति की उपस्थिति में एक-दूसरे के खिलाफ नारे लगाते भी दिखाई दिए।

समारोह में हरसिमरत बादल ने अपने संबोधन में 1984 के सिख विरोधी दंगों के लेकर कांग्रेस नेताओं पर तंज कसा। जिसके तुरंत बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ नारे लगाए।

गुरदासपुर से सांसद व पंजाब की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपना आभार भाषण पढ़ते हुए अकाली दल नेतृत्व पर पंजाब को नशे का केंद्र बनाने के लिए हमला बोला। इसके बाद अकाली दल के नेताओं ने नारेबाजी और प्रदर्शन शुरू कर दिया। इनमें हससिमरत के भाई और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया भी शामिल थे।

इससे परले रंधावा समारोह की तैयारियों के दौरान बेहद नाराज और अफसरों पर चिल्लाते दिखे। उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा था, "मैं समारोह का बहिष्कार नहीं करूंगा बल्कि मैं आधारशिला पत्थर का बहिष्कार करूंगा।" उन्होंने कहा कि वह अपना और अपने सहयोगियों का नाम प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल के साथ नहीं देख सकते 'जिन्होंने करतारपुर कॉरिडोर के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया।'

मंत्री ने कहा, "करतापुर गलियारे परियोजना को मंजूरी दिलाने में बादल परिवार का कोई योगदान नहीं है। उन्होंने 1997 से 2002 तक और फिर 10 वर्षों (2007-17) तक पंजाब पर शासन किया। क्या वे सत्ता में रहते हुए यहां प्रार्थना करने के लिए आए थे? वे केवल श्रेय (करतरपुर गलियारे के लिए) लेने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे (अकाली दल) भाजपा के साथ गठबंधन में हैं।"

रंधावा ने आधारशिला पत्थर विवाद के लिए एनएचआई अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उन्हें बादल परिवार के सदस्यों के नाम आधारशिला पत्थर पर होने पर गंभीर आपत्ति थी।

रंधावा ने कहा, "समारोह की पवित्रता रखी जानी चाहिए थी। आधारशिला पत्थर पर केवल उप राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का नाम होना चाहिए था।"

यह सड़क इलाके को डेरा बाबा नानक को समीप की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जोड़ेगी।

इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि करतारपुर गलियारे के ऐतिहासिक होने की संभावना है और यह भारत व पाकिस्तान के लोगों को एक-दूसरे के करीब लाएगा।

नायडू ने कहा, "गुरुनानक देव हमेशा प्यार और शांति का संदेश देते थे। यह गलियारा परियोजना दोनों देशों के लोगों को करीब लाएगी।"

अपने संबोधन में गडकरी ने कहा कि करतारपुर गलियारा ऐतिहासिक कदम है, जो श्रद्धालुओं को पाकिस्तान के धार्मिक स्थल में प्रार्थना करने में मदद करेगा।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने करतारपुर गलियारे को वास्तविक बनाने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का धन्यवाद दिया।

साथ ही उन्होंने पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का नाम लेते हुए सीमा पार से आतंक को समर्थन देकर पंजाब में किसी प्रकार की अप्रिय घटना को अंजाम देने के खिलाफ पड़ोसी देश को चेतावनी दी।

अमरिंदर सिंह ने कहा, "मैं बाजवा से कहना चाहता हूं कि वह जो करने का प्रयास कर रहे हैं, वह कायरता है। इसमें कोई बहादुरी नहीं है। हम पंजाब में किसी भी अप्रिय घटना का मुंहतोड़ जवाब देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं।"

वास्तविक करतारपुर गलियारा पाकिस्तान में होगा। यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित करतारपुर साहिब गुरद्वारे से जोड़ेगा।

पाकिस्तान 28 नवंबर को सीमा पर अपनी ओर करतारपुर गलियारे की आधारशिला रखेगा।

केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर और हरदीप पुरी के साथ पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू आधारशिला समारोह के लिए बुधवार को पाकिस्तान का दौरा कर सकते हैं।


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