राष्ट्रगान को "ब्रिटिश" कहे जाने पर प्रियांक खरगे ने भाजपा सांसद की कड़ी आलोचना की, बताया - "सरासर बकवास"
कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने देश के राष्ट्रगान को "ब्रिटिश" कहे जाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी की कड़ी आलोचना की है

राष्ट्रगान को ब्रिटिश कहने पर प्रियांक खरगे ने भाजपा सांसद की कड़ी आलोचना की
बेंगलुरु। कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने देश के राष्ट्रगान को "ब्रिटिश" कहे जाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी की कड़ी आलोचना की है।
खरगे ने गुरूवार को इस बयान को "सरासर बकवास" बताया और ऐतिहासिक तथ्यों पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में "भारतो भाग्यो बिधाता" की रचना की थी जिसका पहला छंद बाद में "जन गण मन" बना। यह पहली बार 27 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था, न कि किसी ब्रिटिश सम्राट का गुणगान करने के लिए।
गुरूदेव टैगोर ने स्वयं 1937 और 1939 में स्पष्ट किया था कि यह राष्ट्रगान "भारत के भाग्य विधाता" का गुणगान करता है और इसका तात्पर्य किंग जॉर्ज पंचम, जॉर्ज षष्ठम या किसी अन्य ब्रिटिश शासक से नहीं है।
खरगे ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों से इतिहास का अध्ययन करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस और इसके प्रकाशन ऑर्गनाइज़र के संपादकीय सहित अन्य लेखों में संविधान, तिरंगे और राष्ट्रगान का अनादर करने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा रही है।
गौरतलब है कि कागेरी ने होन्नावर में 'आत्मनिर्भर भारत के लिए राष्ट्रीय एकता नदी' कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रगान की उत्पत्ति पर सवाल उठाया और सुझाव दिया था कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वंदे मातरम को और अधिक मान्यता दी जानी चाहिए।
कागेरी ने कहा था कि जन गण मन को अंततः राष्ट्रगान के रूप में चुना गया था, लेकिन मूल रूप से इसे ब्रिटिश सत्ता के सम्मान में रचा गया था। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों और नागरिकों को प्रेरित किया और इसके महत्व को पूरे देश में खासकर इसके 150वें वर्ष में, मनाया जाना चाहिए। सांसद ने लोगों से वंदे मातरम को याद करने और नियमित रूप से 'भारत माता की जय' का नारा लगाने का आग्रह किया था।


