एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच की दी मंजूरी, 26 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आज एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा पूर्व में दी गई अंतरिम रोक को रद्द कर दिया, जिसने केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से जुड़े कथित भूमि हड़पने के मामले की जाँच के लिए विशेष जाँच दल (एसआईटी) गठित करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ एसआईटी जांच की दी मंजूरी
बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आज एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा पूर्व में दी गई अंतरिम रोक को रद्द कर दिया, जिसने केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से जुड़े कथित भूमि हड़पने के मामले की जाँच के लिए विशेष जाँच दल (एसआईटी) गठित करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि यह मामला बिदादी में केतगनहल्ली के पास सरकारी भूमि पर कथित अतिक्रमण से संबंधित है, जहाँ कुमारस्वामी, उनके रिश्तेदार डीसी थम्मन्ना और अन्य पर लगभग 14 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप है।
राज्य सरकार ने इससे पहले लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के लिए उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अमलान आदित्य बिस्वास के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया था। कुमारस्वामी और अन्य ने हालाँकि एसआईटी गठन को चुनौती दी थी, जिसके कारण एकल न्यायाधीश की पीठ ने सरकारी आदेश पर रोक लगा दी थी।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की खंडपीठ ने राज्य की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि अंतरिम स्थगन आदेश ने जाँच प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न की है। महाधिवक्ता शशिकिरण शेट्टी की दलीलों पर विचार करने के बाद, जिन्होंने तर्क दिया कि लगभग छह एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है और एसआईटी को जाँच का अधिकार दिया गया है, खंडपीठ ने कुमारस्वामी और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए।
पीठ ने अब एकल न्यायाधीश के आदेश पर 26 सितंबर तक अंतरिम स्थगन दे दिया है, जिससे एसआईटी अपनी जाँच फिर से शुरू कर सकेगी।
इससे पहले, सामाजिक कार्यकर्ता एसआर हिरेमठ द्वारा दायर एक अवमानना याचिका में बताया गया था कि लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। खंडपीठ ने यह भी चेतावनी दी थी कि कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों को कारावास का सामना करना पड़ सकता है। इसके बाद, स्थानीय तहसीलदार ने भूमि का सर्वेक्षण किया और कुमारस्वामी और अन्य को नोटिस जारी किए, जिसके बाद उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को निर्धारित है।


