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कर्नाटक की नई राज्य शिक्षा नीति धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आधारित होगी, अन्य राज्य भी अनुकरण करेंगे : उच्च शिक्षा मंत्री

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एम.सी. सुधाकर ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक की नई राज्य शिक्षा नीति धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आधारित होगी और अन्य राज्य भी इसका अनुकरण करेंगे

कर्नाटक की नई राज्य शिक्षा नीति धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आधारित होगी, अन्य राज्य भी अनुकरण करेंगे : उच्च शिक्षा मंत्री
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बेंगलुरु। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एम.सी. सुधाकर ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक की नई राज्य शिक्षा नीति धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आधारित होगी और अन्य राज्य भी इसका अनुकरण करेंगे।

यहां इंडिया डिडक्टिक्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित 'एशियन समिट ऑन एजुकेशन एंड स्किल्स (एएसईएस)' में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा पर नई नीति बनाने का काम विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुखदेव थोराट को सौंपा गया है।

समिति में पांच सदस्य शामिल हैं और आठ सदस्यीय सलाहकार बोर्ड भी है। बोर्ड शिक्षाविदों और विश्‍वविद्यालयों से भी परामर्श कर सकता है।

सरकार ने 28 फरवरी, 2024 तक नई शिक्षा नीति प्रस्तुत करने हो कहा है।

यह नीति, जो सभी धर्मों, जातियों और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की भावनाओं को शामिल करने पर जोर देगी, मुख्य रूप से नौकरियों के सृजन पर ध्यान केंद्रित करेगी।

सुधाकर का बयान महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस सरकार अगले शैक्षणिक वर्ष से कर्नाटक में मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को खत्म करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

उन्होंने यह भी कहा कि योजना और विशेषज्ञ की राय के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को छात्रों के लिए पेश किया जाएगा।

सुधाकर ने दावा किया कि 2014 में केंद्र सरकार ने नए नियम के साथ शिक्षा का अधिकार अधिनियम को कमजोर कर दिया, जिसमें कहा गया कि आरटीई के माध्यम से गरीब छात्रों का निजी स्कूलों में दाखिला तभी होगा, जब किसी विशेष वार्ड या शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्र में कोई सरकारी स्कूल नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले पब्लिक स्कूलों की संख्या बढ़ा रही है।

शिखर सम्मेलन का आयोजन आईडीए द्वारा एजुकेशन वर्ल्ड फोरम, लंदन के सहयोग से किया गया था।

एसोसिएशन के सीईओ आदित्य गुप्ता ने कहा कि शिखर सम्मेलन में आर्मेनिया, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, ब्रुनेई, फिनलैंड, लाओस, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, नाउरू, ओमान, पापा न्यू गिनी, सिएरा लियोन, तुर्किये और विभिन्न देशों के मंत्री और अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मेघालय, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के नौकरशाह मौजूद थे।

उद्घाटन सत्र में सुधाकर और चिकित्सा शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री डॉ. एस.आर. पाटिल के साथ पैनल चर्चा हुई।

गुप्ता ने कहा, बांग्लादेश के शिक्षा मंत्री डॉ. दीपू मोनी और तुर्किये के नवाचार और शैक्षिक प्रौद्योगिकी महानिदेशक डॉ. मुस्तफा कैनली भी पैनलिस्ट थे और चर्चा का संचालन फोरम निदेशक, एएसईएस और एजुकेशन वर्ल्ड फोरम डोमिनिक सैवेज ने किया।

सत्र में बांग्लादेश, तुर्किये और कर्नाटक में नवीन परियोजनाओं की शुरुआत के साथ-साथ सफलता प्रदर्शित करने वाले ठोस और प्रभावी समाधानों पर चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने सर्वसम्मति से प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया, शिक्षक प्रशिक्षण को बढ़ाने, नीति कार्यान्वयन में तेजी लाने और अधिक रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम विकास को आगे बढ़ाने पर ठोस ध्यान देने की जरूरत को रेखांकित किया।

सभी पैनलिस्टों ने शिक्षा नीतियों को लागू करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। एएसईएस के अलावा, आईडीए 17 अक्टूबर (मंगलवार) से 19 अक्टूबर तक बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र (बीआईईसी) में शिक्षा और कौशल संसाधनों के लिए एशिया की सबसे बड़ी और भारत की एकमात्र प्रदर्शनी और सम्मेलन का 13वां संस्करण, डीआईडीएसी इंडिया 2023 का आयोजन करेगा। इस प्रतिष्ठित 3-दिवसीय बी2बी वार्षिक कार्यक्रम की मेजबानी और भागीदारी राज्य शिक्षा विभाग द्वारा की जाएगी, और यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंत्रालयों द्वारा समर्थित होगी।


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