Top
Begin typing your search above and press return to search.

2020 बेंगलुरु हिंसा का मकसद आतंक फैलाना था : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा 'आतंकवाद' थी।

2020 बेंगलुरु हिंसा का मकसद आतंक फैलाना था : कर्नाटक हाईकोर्ट
X

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा 'आतंकवाद' थी। हाईकोर्ट ने घटना के सिलसिले में बुधवार को आरोपी अतीक अहमद और अन्य की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी।

पैगंबर मोहम्मद पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद, शहर में अगस्त 2020 में डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस स्टेशन की सीमा में बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई। हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।

हिंसक भीड़ ने थाने में आग लगाने की कोशिश की और कांग्रेस विधायक के घर को आग के हवाले कर दिया।

न्यायमूर्ति के. सोमशेखर और न्यायमूर्ति शिवशंकर अम्मन्नावर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पुलिस थाने के सामने एकत्रित हिंसक भीड़, पुलिस पर लोहे की छड़ों से हमला, पेट्रोल से भरी बोतलें और हिंसा भड़काने को जनता में आतंक पैदा करने के लिए किए गए कृत्यों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

पीठ ने यह भी कहा कि आरोपी आतंक फैलाने के लिए एकत्र हुए थे जैसा कि राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (एनआईए) के आरोप पत्र में उल्लेख किया गया है।

अदालत ने कहा, "यह मामला यूएपीए अधिनियम की धारा 45 डी (5) के तहत आता है। चार्जशीट में लगाए गए आरोप प्रथम ²ष्टया सही प्रतीत होते हैं।"

आरोपी के वकील मोहम्मद ताहिर ने तर्क दिया कि सिटी क्राइम ब्रांच (सीसीबी) और बाद में एनआईए के समक्ष दर्ज गवाहों के बयान अलग हैं। उन्होंने कहा, "एनआईए ने गवाहों के बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। आरोपी ने हिंसा में हिस्सा नहीं लिया।"

लोक अभियोजक पी. प्रसन्ना कुमार ने कहा कि आरोपियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उनकी संलिप्तता प्रथम दृष्टया साबित हो चुकी है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it