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कर्नाटक के राज्यपाल ने अवैध भूमि आवंटन की शिकायत पर मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्य सचिव शालिनी रजनीश से कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार के सदस्यों के खिलाफ कथित अवैध भूमि आवंटन की शिकायत पर स्पष्टीकरण मांगा है

कर्नाटक के राज्यपाल ने अवैध भूमि आवंटन की शिकायत पर मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा
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बेंगलुरु। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्य सचिव शालिनी रजनीश से कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार के सदस्यों के खिलाफ कथित अवैध भूमि आवंटन की शिकायत पर स्पष्टीकरण मांगा है।

यह शिकायत विधान परिषद में विपक्ष के नेता (एलओपी) चलावाडी नारायणस्वामी ने की थी।

राज्यपाल की आलोचना करते हुए मंत्री प्रियांक खड़गे ने सोमवार को कहा, "राज्यपाल के दो संविधान हैं। एक भाजपा और जेडी (एस) के लिए है और दूसरा कांग्रेस के लिए है।

उन्होंने कहा कि, विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलावाडी नारायणस्वामी को छोड़कर कोई इस मुद्दे को क्यों नहीं उठा रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र, विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।

भाजपा और आरएसएस संगठन दलितों को आपस में लड़ाने और वैमनस्यता पैदा करने की साजिश कर रहे हैं। जब भी कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कोई शिकायत की जाती है, तो उस पर बिजली की गति से कार्रवाई की जाती है।

बता दें दि बेंगलुरु के एयरोस्पेस पार्क में सिद्धारमैया सरकार द्वारा पांच एकड़ जमीन के कथित अवैध आवंटन को लेकर कर्नाटक भाजपा ने मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके बेटे प्रियांक खड़गे पर हमला बोला था, भाजपा ने कहा, यह खड़गे परिवार द्वारा दलितों के साथ अन्याय है।

विधान परिषद में विपक्ष के नेता (एलओपी) चलवाडी नारायणस्वामी ने कहा था, खड़गे परिवार उस जमीन पर राजनीति कर रहा है जो दलितों के लिए है और दलितों को उनके उचित हिस्से से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में दस्तावेजों की एक श्रृंखला भी जारी की।

उन्होंने कहा, कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने 72 दलित संगठनों से लाखों रुपये लेकर, केवल खड़गे परिवार को जमीन आवंटित की। उन्होंने महज 20 दिनों के भीतर खड़गे परिवार के लिए जल्दबाजी में जमीन की मंजूरी देने के लिए भी सरकार की आलोचना की।

उन्होंने कहा, कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के इतिहास में यह सबसे बड़ी भूलों में से एक है।

नारायणस्वामी ने आगे आरोप लगाया कि नियमों को बदल दिया गया, और सार्वजनिक नीलामी के बिना वाणिज्यिक भूखंडों को जल्दबाजी में आवंटित किया गया। यदि यह व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए था, तो आधार मूल्य 2.5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ होना चाहिए था, और दोगुनी दर पर, इसे 5 करोड़ रुपये के आधार दर से नीलाम किया जाना चाहिए था। इससे 10 करोड़ से 15 करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते थे।


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