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कर्नाटक : कांग्रेस के बागी विधायकों की वजह से गठबंधन सरकार पर संकट

कर्नाटक में कांग्रेस के चार बागी और कुछ असंतुष्ट विधायकों की वजह से अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले एच.डी. कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं

कर्नाटक : कांग्रेस के बागी विधायकों की वजह से गठबंधन सरकार पर संकट
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बेंगलुरू। कर्नाटक में कांग्रेस के चार बागी और कुछ असंतुष्ट विधायकों की वजह से अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले एच.डी. कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। पार्टी के व्हिप की अवमानना करते हुए कथित रूप से कांग्रेस के 10 विधायक बुधवार को 10 दिवसीय बजट सत्र के पहले दिन सदन में मौजूद नहीं थे।

बागी विधायक रमेश झारकिहोली, महेश कुमातल्ली, उमेश जाधव और बी. नागेंद्र संपर्करहित बने हुए हैं, कांग्रेस विधायक दल(सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने गुरुवार को चेतावनी दी है कि अगर शुक्रवार सुबह ये नेता सीएलपी की बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो उन्हें दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

जनता दल-सेकुलर(जेडी-एस) के नेता और मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी शुक्रवार को अगले वित्तीय वर्ष(2019-20) के लिए बजट पेश करने वाले हैं।

असंतुष्ट विधायकों से निपटने के लिए, कांग्रेस ने स्थिति की समीक्षा की और विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार को इस बाबत पत्र लिखने का विचार किया जा रहा है, जिसमें बजट के दौरान उपस्थित नहीं रहने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की जाएगी। बजट को 15 फरवरी को बहस के बाद पारित किया जाना है।

बजट को पारित करने के लिए सभी 79 कांग्रेस सदस्य का सदन में उपस्थित होना अनिवार्य है।

225 सदस्यीय विधानसभा में, जिसमें एंग्लो-भारतीय समुदाय के एक सदस्य भी शामिल हैं, विधानसभा अध्यक्ष मिलाकर कांग्रेस के 80 सदस्य हैं, जेडी-एस के 37 और भाजपा के 104 सदस्य हैं। इसके अलावा बसपा और क्षेत्रीय संगठन केपीजेपी का एक-एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक है।

सत्तारूढ़ पार्टी के पास चार बागी विधायक समेत कुल 116 विधायक हैं, सरकार बजट पास करने में सक्षम होगी, क्योंकि सामान्य बहुमत के लिए 113 की संख्या होना जरूरी है।

एक कांग्रेस नेता ने कहा, "अगर चार बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है, फिर भी सरकार बजट पास करने में सक्षम होगी, क्योंकि उस स्थिति में सदन की क्षमता 221 हो जाएगी और बजट पारित कराने के लिए केवल 111 सदस्यों की जरूरत होगी।"

कर्नाटक प्रगनावेंथा जनता पार्टी(केपीजेपी) के एच. नागेश और निर्दलीय आर.शंकर ने बीते महीने गठबंधन सरकार से अपना बहुमत वापस ले लिया था। दोनों विधायक भी बुधवार को सत्र से अनुपस्थित रहे। गठबंधन के सदस्य हालांकि नागेश और शंकर को बजट के पक्ष में वोट देने या फिर सदन से अनुपस्थित रहने को लेकर लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.एस. येदियुरप्पा ने हालांकि दावा किया कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं पेश करेगी या कुमारस्वामी को बजट पेश करने से नहीं रोकेगी।

येदियुरप्पा ने कहा, "हम न तो अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे और न ही राज्यपाल के पास जाएंगे। सरकार खुद ही अपने विधायकों के अंतर्कलह से गिर जाएगी। सरकार कांग्रेस में विरोध की वजह से खतरे में है और गठबंधन के दोनों साथियों के बीच कई मुद्दों पर गंभीर मतभेद हैं।"

सत्तारूढ़ गठबंधन हालांकि अनिश्चतता और सत्ता बंटवारे के मुद्दे पर जूझने के बावजूद गत आठ महीनों से सरकार चलाने में सफल रही है।

यह पहली हुआ कि सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस ने राज्य में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए 23 मई को जेडी-एस को बिना शर्त समर्थन दिया। इससे पहले 19 मई को भाजपा सरकार बहुमत साबित करने में विफल रही थी।

खंडित जनादेश वास्तव में कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए थे, जिसने 2013 में 121 सीट के मुकाबले इस बार केवल 78 सीट ही जीते। कांग्रेस ने हालांकि जेडी-एस के साथ मिलकर चुनाव बाद गठबंधन करने में देरी नहीं की। जेडी-एस को केवल 37 सीट ही प्राप्त हुआ था।


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