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कर्नाटक : भाजपा ने परेश मेस्ता हत्याकांड के आरोपी की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति रोकी

भाजपा नीत कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को परेश मेस्ता हत्याकांड के आरोपी की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति पर रोक लगा दी

कर्नाटक : भाजपा ने परेश मेस्ता हत्याकांड के आरोपी की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति रोकी
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उत्तर कन्नड़। भाजपा नीत कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को परेश मेस्ता हत्याकांड के आरोपी की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति पर रोक लगा दी, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं और हिंदू संगठनों ने वक्फ बोर्ड के इस कदम की निंदा की थी।

जमाल आजाद अन्निगेरी को जिला वक्फ बोर्ड के उपाध्यक्ष का पद देने के आदेश की पार्टी कार्यकर्ताओं और हिंदू कार्यकर्ताओं ने निंदा की।

जमाल को एक युवा हिंदू कार्यकर्ता परेश मेस्ता की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है। जमाल को गिरफ्तार कर जमानत पर रिहा कर दिया गया। फिलहाल मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) कर रही है।

सरकार ने अगले आदेश तक नियुक्ति पर रोक लगाते हुए कहा कि जनता की शिकायतों की पृष्ठभूमि में यह आदेश दिया गया है।

भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ता प्रवीण कुमार नेट्टारे की मौत के बाद पार्टी पहले से ही विरोध का सामना कर रही थी।

भाजपा, जिसने परेश मेस्ता हत्याकांड को हिंदुओं पर हमले के रूप में पेश किया है और इसे राज्य में विशेष रूप से उत्तर कन्नड़ जिले में चुनावी मुद्दा बनाया है, चुनावों में जीत हासिल करने में सफल रही।

दरअसल पार्टी कार्यकर्ताओं और हिंदू कार्यकर्ताओं ने भाजपा की निंदा करते हुए कहा था कि परेश की हत्या के मामले को बड़ा मुद्दा बनाकर सत्ता में आई पार्टी ने अब इस मामले में मुख्य आरोपी को वक्फ बोर्ड में नामित कर एक पद दे दिया है।

उन्होंने कहा, "भाजपा की नैतिकता कहां है?"

सोशल मीडिया पर ऐसे संदेशों की बाढ़ सी आ गई है, जिसमें बीजेपी का हिंदुओं की 'चैंपियन' के रूप में उपहास उड़ाया गया है।

परेश 6 दिसंबर, 2017 को होन्नावर शहर में भीड़ की हिंसा की एक घटना के बाद गायब हो गया था। दो दिनों के बाद, उसका शव एक झील के पास मिला था। आरोप लगाया गया था कि भीड़ की हिंसा में परेश की मौत हो गई थी और हमलावरों ने बाद में शव को फेंक दिया था।

उस समय विपक्ष में रही भाजपा ने राज्य स्तर पर इस मुद्दे को उठाया और पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया। हत्या की घटना से होन्नावर, कुमता और सिरसी कस्बों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।

भाजपा और परेश के परिवार ने हत्या के मामले की सीबीआई जांच की मांग की और तब कांग्रेस सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था।


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