कांचा इलैया को धमकी के विरोध में जंतर-मंतर पर जुटेंगे लेखक
तेलुगु देशम पार्टी के एक सांसद टी जी वेंकटेश ने प्रेस कांफ्रेंस करके दलित चिंतक कांचा इलैया शेफर्ड को चौराहे पर फांसी देने की मांग के विरोध में देश भर के लेखक कल जंतर-मंतर पर जुटेंगे

नई दिल्ली। तेलुगु देशम पार्टी के एक सांसद टी जी वेंकटेश ने प्रेस कांफ्रेंस करके दलित चिंतक कांचा इलैया शेफर्ड को चौराहे पर फांसी देने की मांग के विरोध में देश भर के लेखक कल जंतर-मंतर पर जुटेंगे।
बता दें अकदमीशियन, लेखक और दलित अधिकारों के कार्यकर्ता हैं। उनके द्वारा लिखी गई कुछ किताबें ये हैं: मैं हिन्दू क्यों नहीं हूँ; हिन्दू धर्म पश्चात भारत : दलित-बहुजन में एक चर्चा; सामाजिक-आध्यात्मिक और वैज्ञानिक क्रांति; भगवान एक राजनीतिक दार्शनिक के रूप में : ब्राह्मणवाद को बुद्ध की चुनौती; भारत में लोक-तंत्र : एक खोखला शंख; मटके को घुमाता, जमीन को टाइल करता : हमारे समय में श्रम की गरिमा; अछूत भगवान: जाति और रेस पर एक उपन्यास; राष्ट्र और दमनकारी संस्कृति; भैंस राष्ट्रवाद : आध्यात्मिक फ़ासीवाद की आलोचना।
इस संबंध में जनवादी लेखक संघ के फेसबुक पेज पर जारी विज्ञप्ति का मूल पाठ निम्न है -
दलित चिंतक कांचा इलैया शेफर्ड ने पिछले एक हफ्ते से अपने को हैदराबाद के अपने घर में बंद कर रखा है। कारण है, उनकी किताब 'पोस्ट-हिन्दू इंडिया' के एक अध्याय पर आर्य वैश्य समुदाय की आहत भावनाएं। 9 सितम्बर से उन्हें इस आहत समुदाय द्वारा जान की धमकियां मिल रही हैं। तेलुगु देशम पार्टी के एक सांसद टी जी वेंकटेश ने प्रेस कांफ्रेंस करके उन्हें चौराहे पर फांसी देने की बात कही। कुछ दिन पहले उनकी कार पर हमला भी किया गया, जिससे वे बाल-बाल बचकर निकले। तेलंगाना सरकार ने इन तमाम घटनाओं के बावजूद उन्हें अभी तक कोई सरकारी सुरक्षा प्रदान नहीं की है।
यह पूरा प्रकरण और इसे लेकर तेलंगाना सरकार का रवैया घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है। जनवादी लेखक संघ कांचा इलैया की अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में खड़ा है और यह मांग करता है कि सरकारी एजेंसियां कांचा इलैया की सुरक्षा, उनकी लिखने बोलने की आज़ादी की सुरक्षा और धमकियां देने वालों पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे।
आइये, कल जंतर मंतर पर कांचा इलैया के समर्थन में इकट्ठा हों। समय: दोपहर बाद 3 बजे। शामिल संगठन हैं : दलित लेखक संघ, सेंटर फॉर दलित लिटरेचर एंड आर्ट, समता साहित्य समिति, प्रगतिशील लेखक संघ, जन संस्कृति मंच और जनवादी लेखक संघ।


