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सिंन्धिया के गढ़ में कमलनाथ की दस्तक 5 फरवरी को
5 फरवरी का कमलनाथ दौरा कई मायनों में अहम हैं। कुछ माह बाद ही विधानसभा चुनाव हैं। ग्वालियर चंबल अंचल में सिंन्धिया समर्थकों को हराना कमलनाथ के लिए नाक का सवाल है। क्योंकि सिंन्धिया के कांग्रेस छोड़ने पर ही कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: पीसीसी चीफ व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 5 फरवरी को ग्वालियर दौरे पर हैं। संत रविदास की जयंती पर यह दौरा आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान एक विशाल जनसभा क़ा आयोजन थाटीपुर स्थित दशहरा मैदान पर किया जाएगा। इस दौरे को लेकर ग्वालियर के कांग्रेसियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
ग्वालियर पूर्व विधायक सतीश सिकरवार ने देशबन्धु को बताया कि 5 फरवरी को पूरे देश मे संत रविदास जयंती बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। ग्वालियर में भी इस दिन एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम में हमारे नेता कमलनाथ ग्वालियर आ रहे हैं। इस कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं।
आपको बता दें कि जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तब कमलनाथ ग्वालियर नहीं आते थे। प्रेसवार्ता में भी कमलनाथ यह बात कह चुके है कि सिंन्धिया थे इसलिए वे कभी नहीं आये। अब जब सिंन्धिया भाजपा में है तो इस अंचल में कांग्रेस को मजबूत करना कमलनाथ के लिए एक चुनौती है, जिसे स्वीकार करते हुए अब वह यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। कभी भाजपा में रहे सतीश सिकरवार के रूप में भी कमलनाथ को एक जुझारू सेना नायक इस क्षेत्र में मिल गया है।
5 फरवरी का कमलनाथ दौरा कई मायनों में अहम हैं। कुछ माह बाद ही विधानसभा चुनाव हैं। ग्वालियर चंबल अंचल में सिंन्धिया समर्थकों को हराना कमलनाथ के लिए नाक का सवाल है। क्योंकि सिंन्धिया के कांग्रेस छोड़ने पर ही कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। और वह जख्म अभी तक हरा है जिसकी तीस कमलनाथ के बयानों में साफ दिखाई देती है। अब सिंन्धिया के गढ़ में कमलनाथ दलित वोटों को साधकर जोरदार तरीके से चुनावी बिगुल फूंकने का प्रयास करेंगे।
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