आदिवासी संस्कृति का कलाकुम्भ आदि महोत्सव सम्पन्न
जिला प्रशासन, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान एवं पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित आदि महोत्सव का आज यहां समापन हो गया

उदयपुर। जिला प्रशासन, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान एवं पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित आदि महोत्सव का आज यहां समापन हो गया।
भारतीय लोक कला मण्डल के मुक्ताकाशी रंगमंच पर हुए कार्यक्रम में जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने नगाड़ा बजाकर समापन समारोह की शुरुआत की।
श्री मीणा ने स्थानीय कलाकारों सहित भारत देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा और कहा कि लोक परंपरा कला एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए ऐसे आयोजनों की महती आवश्यकता है।
उन्होंने लोक कला मंडल के निदेशक डॉ लाइक हुसैन का आभार जताते हुए कहा कि स्थानीय संस्कृति के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति का समन्वय स्थापित कर इस प्रकार का आयोजन हमारे जिले में हुआ, यह बड़े गौरव की बात है। ऐसे आयोजनों से विश्व पटल पर पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले उदयपुर मैं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, लोक कलाओं का सुदृढ़ीकरण होगा और लोक कलाकारों को आजीविका के साथ संबल व पहचान मिलेगी।
समापन समारोह में विविध वाद्य यंत्रों की लहरियों के संग थिरकते कलोकारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस महोत्सव में देश के बाहर से आने वाले दल पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कलाकारों के साथ राजस्थान के जनजाति क्षेत्रों जिसमें बाँरा, उदयपुर, बाँसवाड़ा, आबुरोड़, डुंगरपुर, सिरोही एवं कोटड़ा के 18 दलों ने भाग लिया जिनमें से 11 दल तो ऐसे थे जो पहली बार किसी कार्यक्रम मे मंच पर अपनी प्रस्तुतिदे रहे थे।
उदयपुर संभाग के जनजाति कलाकारों के साथ भारत के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने ढोल-मृदंग की थाप के साथ झांझर की झनकार और घुघरू की झनकार के साथ प्रस्तुतियॉँ दी। कलाकरों ने चांग, शौगी मुखावटे, नटुवा, सिंगारी, राठवा, घूमरा, सहरिया, गवरी, ढोल कुंडी सहित लोक नृत्यों से सभी को आकर्षित किया। टीएसी सदस्य लक्ष्मीनारायण पंड्या, विदेशी पर्यटक,सभी प्रशासनिक अधिकारी तथा जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।


