कैलाश मानसरोवर से यात्रियों का पहला जत्था लौटा
कैलाश मानसरोवर यात्रियों का पहला जत्था यात्रा से लौट आया है तथा यह कल भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करेगा
नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रियों का पहला जत्था यात्रा से लौट आया है तथा यह कल भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करेगा। भारत-चीन के बीच उत्तराखंड के रास्ते कैलाश मानसरोवर की पारंपरिक यात्रा वर्ष 1981 से जारी है।
इस वर्ष यह यात्रा विधिवत रूप से 12 जून से शुरू हुई है। 11 जून को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखायी थी , लेकिन यात्रियों का पहला जत्था 12 जून को दिल्ली से चला था।
दूसरी तरफ इस वर्ष चीन ने गंगटोक के नाथूला दर्रे से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले जत्थे को रोक दिया है। बताया जा रहा है कि चीन ने खराब मौसम व बारिश का हवाला देते हुए पहले जत्थे को अचानक अपने क्षेत्र में प्रवेश से रोक दिया है।
इस जत्थे में 47 तीर्थयात्री शामिल थे। इसके बाद कैलाश के दर्शन कर जाने वाले यात्रियों में मायूसी छा गयी। बताया जाता है कि इसके बाद यात्री अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं।
भारत और चीन के बीच हाल ही में हुए सीमा विवाद का असर नाथुला दर्रे से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पड़ा है। उत्तराखंड के रास्ते होकर जाने वाली कैलाश यात्रा पर भारत-चीन सीमा विवाद का कोई असर नहीं पड़ा है।
इस रास्ते से अब तक चार दल यात्रा के लिए जा चुके हैं। पहला दल 12 जून को दिल्ली से चला था। इस दल में 55 यात्री शामिल हैं जिनमें 16 महिलाएं हैं।
पिथौरागढ़ के जिला प्रशासन एवं कैलाश यात्रा को संचालित करने वाली एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम यात्रा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है और पूरी नजर बनाये हुए है।
चीन से सटे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के जिलाधिकारी सी रविशंकर और धारचूला के अनुमंडलीय अधिकारी आर के पांडेय ने यूनीवार्ता को बताया कि यात्रियों का पहला जत्था कैलाश के दर्शन करके लौट आया है।
यात्रियों का पहला दल चीन अधिकृत तिब्बत में कुगु पहुंच गया है। आज कुगु में यह दल मानस परिक्रमा करेगा। इसके बाद कल शाम तक यात्रियों का यह दल तकलाकोट बार्डर क्रास कर सफलतापूर्वक भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर जाएगा।
इसी प्रकार दूसरा जत्था आज दारचेन से चलकर चीन अधिकृत तिब्बत के डेराफूक पहुंच जाएगा और गुरुवार को कैलाश के विधिवत दर्शन कर सकेगा।
इस बीच चौथा दल आज सिरका से गाला की ओर आगे की यात्रा के लिए निकल पड़ा है। सी रविशंकर ने बताया कि हर दल के साथ विदेश मंत्रालय का एक लाइजनिंग आफिसर होता है , जो यात्रा की विधिवत जानकारी देता रहता है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष उत्तराखंड के रास्ते जाने वाले कैलाश मानसरोवर यात्रियों के 18 दलों को चीन से अनुमति मिली हुई है। एक दल में अधिकतम 60 यात्री शामिल होंगे।
पूरे सीजन में अधिकतम 1080 यात्री इस बार यात्रा कर सकेंगे। कल कैलाश यात्रियों का पांचवा जत्था दिल्ली ये रवाना होगा। यह जत्था शाम तक उत्तराखंड में प्रवेश करेगा। इसका पहला पड़ाव अल्मोड़ा में होगा।


