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जोकापाट के सफर में अब भी परेशानी

बलरामपुर जिले के नक्सल प्रभावित जोकापाट इलाके में काफी मशक्कत के बाद बिजली तो आ गई लेकिन यहां के लोगों को आवागमन के लिए अब भी बेहतर सड़क नहीं मिल पाई

जोकापाट के सफर में अब भी परेशानी
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शॉर्टकट रोड बनने से ही दूर होगी दिक्कत
शंकरगढ़। बलरामपुर जिले के नक्सल प्रभावित जोकापाट इलाके में काफी मशक्कत के बाद बिजली तो आ गई लेकिन यहां के लोगों को आवागमन के लिए अब भी बेहतर सड़क नहीं मिल पाई है। ब्लॉक मुख्यालय शंकरगढ़ से जोकापाट जाने अभी जिस रास्ते का उपयोग होता है उसकी दूरी 35 किमी है, लेकिन एक दूसरा रास्ता जिसकी दूरी कम है वहां की हालत काफी खराब है। कुछ हिस्सा फारेस्ट लैंड होने के कारण यहां सड़क निर्माण की मंजूरी अब तक नहीं मिल पाई है

इस सड़क के तैयार हो जाने से जोकापाट के लोगों को ब्लॉक मुख्यालय आने में कम दूरी तय करने के साथ-साथ समय की भी बचत होगी। षंकरगढ़ के दूरस्थ पहाड़ी जोकापाट इलाके में अब भी बेहतर सड़क नहीं बन पाई है। नक्सल प्रभावित होने के कारण यहां के लोग मूलभुत सुविधाएं के लिए लंबे समय तक वंचित रहे। नक्सल समस्या दूर होने के बाद भी उतनी तेजी से जरूरी सुविधाएं नहीं डेवलप हो पाई। पिछले साल सुराज के दौरान पहुंचे सीएम की पहल पर बिजली पहुंच गई लेकिन बेहतर सड़क अब भी नहीं बन पाई है। षंकरगढ़ से जोकापाट के लिए अभी दुर्गापुर, भरतपुर, गम्हारडीह के रास्ते से आना-जाना होता है। इसकी दूरी 35 किमी है। इसमें दुर्गापुर से भरतपुर के बीच 10 किमी की सड़क की हालत काफी खराब है।

जोकापाट जाने के लिए दूसरी सड़क को बेहतर कर दिया जाए तो लोगों को दस किमी की दूरी ब्लॉक मुख्यालय से कम हो जाएगी। इस मार्ग की हालत ठीक नहीं है। इस रूट पर लोग बाइक के अलावा पैदल या सायकल से ही षंकरगढ़ आ-जा सकते हैं। जोकपाट व भरतपुर इलाके के कॉलेज पढ़ने वाले छात्रों को अभी षंकरगढ़ आने में परेषानी का सामना करना पड़ता है। लंबी दूरी तय करने में उनका समय ज्यादा लगता है।

जंगल के बीच से गुजरने वाली दूसरी सड़क जोकापाट से भरतपुर, लोटा, बांसडीह, महुवाडीह होते हुए षंकरगढ़ जाती है। इसमें भरतपुर से लोटा, बांसडीह के बीच करीब 5 किमी फारेस्ट लैंड का रास्ता पथरीला है। इस पर सड़क नहीं बनी है। इससे इस मार्ग में आना-जाना मुष्किल होता है।

इस संबंध में रेंजर षैलेन्द्र अंबष्ट का कहना है कि उनकी पदस्थापना से पहले यहां सड़क बनाई गई थी। पांच किमी खराब सड़क को बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। वन भूमि के कारण प्रस्ताव की मंजूरी में थोड़ा वक्त लग रहा है। मंजूरी मिलने के बाद काम षुरू किया जाएगा। इसी मार्ग में पुलिया भी क्षतिग्रस्त है। इसके बन जाने से लोगों को सुविधा मिलेगी।


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