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दिल्ली में अधिकारों की जंग तेज

अधिकारों की जंग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी पेंच नहीं सुलझा और दिल्ली सरकार व अधिकारियों के बीच टकराव बरकरार है

दिल्ली में अधिकारों की जंग तेज
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नई दिल्ली। अधिकारों की जंग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी पेंच नहीं सुलझा और दिल्ली सरकार व अधिकारियों के बीच टकराव बरकरार है। दिल्ली के सेवा विभाग के अधिकारियों ने पुराने हिसाब के मुताबिक काम करने का फैसला किया है जिसमें ये विभाग उपराज्यपाल के पास था। इससे दिल्ली में प्रशासनिक संकट पैदा हो गया है। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने आदेश में साफ कर दिया था कि सिर्फ 3 चीजे जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्र के अधीन है। इसका साफ मतलब है कि बाकी विभागों पर उनका कोई अधिकार नहीं और दिल्ली सरकार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। न्यायालय के आदेश के बाद सेवा विभाग स्वत: दिल्ली सरकार के अधीन आ गया है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने उन 3 विभागों को साफ बता दिया है, जो केंद्र के अधीन हैं।

सेवा विभाग ने लौटाई सिसोदिया की फाइल

फैसले के चंद घंटे के भीतर ही फिर से अधिकारों पर तकरार शुरू हो गई। सेवा विभाग ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भेजी गई फाइल को लौटा दिया है। भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच अधिकारों के बंटवारे की रेखा खींच दी हो लेकिन लगता है अभी खेल बाकी है। इसकी शुरुआत देर रात उस वक्त हुई जब दिल्ली के नौकरशाह के एक वरिष्ठ अफसर ने सिसोदिया के आदेश पर टका सा जवाब देते हुए उसे मानने से साफ इनकार कर दिया।

इसलिए पैदा होगी टकराव की स्थिति

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब उपराज्यपाल सेवा विभाग से जुड़ी ट्रांसफर-पोस्टिंग की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। अगर ऐसा करते हैं तो वो अदालत की अवमानना होगी और ऐसी सूरत में अदालत की अवमानना का केस दिल्ली सरकार सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल करेगी। अगर उपराज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करते और दिल्ली सरकार के आदेश को भी सर्विसेस विभाग नहीं मानता, तो क्या दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग रुक जाएंगी। ऐसे में प्रशासनिक संकट खड़ा हो सकता है।

कैबिनेट के हक में गया ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार

सेवा विभाग के अफसरों का मानना है कि बुधवार के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में आई अधिसूचना के बारे में कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया है, जिसमें अफसरों की नियुक्ति और ट्रांसफर का हक उपराज्यपाल को दिया गया था। न्यायालय के आदेश के बाद बुधवार शाम दिल्ली सरकार ने अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले और पोस्टिंग के लिए फैसले लेने का अधिकार मंत्रियों को दे दिए। आईएएस/दानिक्स अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मुख्यमंत्री के पास में रहेगा।


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