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नदियों में प्रवाहित शवों के मामले की न्यायिक जांच हो: अजय कुमार लल्लू

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने बलिया और गाजीपुर समेत अन्य जिलों में नदियों में प्रवाहित शवों के मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है

नदियों में प्रवाहित शवों के मामले की न्यायिक जांच हो: अजय कुमार लल्लू
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने बलिया और गाजीपुर समेत अन्य जिलों में नदियों में प्रवाहित शवों के मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गुरूवार को पत्रकारों से कहा कि वैश्विक महामारी को रोकने में विफल सरकार की नाकामी की तस्वीर नदियों में बहते शवों को देखकर लगायी जा सकती है। नदियों के तट तक बह कर आये इनमें से कई शव पीपीई किट में लिपटे हैं जिसे आवारा जानवर नोंच खसोट रहे हैं। उनकी पार्टी की मांग है कि कोरोना संकट काल में गंगा,यमुना समेत अन्य नदियों में प्रवाहित शवों के मामले की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से करायी जाये ताकि इन शवों को प्रवाहित करने का सच जनता के सामने आ सके।

उन्होने कहा कि आंकड़ों की हेराफेरी कर सरकार कोरोना संक्रमण को काबू करने का दावा कर रही है जबकि सच यह है कि विशेषकर ग्रामीण इलाकों में कोरोना टेस्टिंग के अलावा दवा आक्सीजन के अभाव में बड़ी संख्या में लोग दम तोड़ रहे हैं। पीआर मैनेजमेंट के सहारे डब्लूएचओ से वाहवाही लूट रही योगी सरकार को गांवों में बिगड़ते हालात को रोकने के लिये तत्काल बड़े कदम उठाने होंगे।

कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि सरकार को मेडिकल उपकरणों और दवाओं पर जीएसटी तत्काल खत्म कर देनी चाहिये ताकि जनता को बीमारी के इस कठिन समय में फौरी राहत मिल सके। उन्होने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दुष्प्रभाव को देखते हुये सरकार को तीसरी लहर से निपटने के लिये अभी से कदम उठाने होंगे। हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को आक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक उपकरणों से लैस करना होगा।

चिकित्सकों का पर्याप्त बंदोबस्त करना होगा क्योंकि तीसरी लहर विशेषकर 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिये घातक मानी जा रही है। टीकाकरण की सुस्त रफ्तार को कई गुना तेज करना होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा आबादी में कोरोना से लड़ने के लिये जरूरी प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो सके। सरकार को टेस्टिंग की प्रक्रिया को विस्तार देना चाहिये ताकि संक्रमित व्यक्ति और उसके संपर्क में आने वालों की जल्द पहचान हो सके। साथ ही साथ आरटीपीसीआर की रिपोर्ट में हो रही देरी को रोकना होगा। तभी देश और उत्तर प्रदेश कोरोना के खतरे का सामना करने में सक्षम हो सकेंगे।


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