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चिदंबरम की जमानत खारिज करने वाले जज को ट्रिब्यूनल का शीर्ष पद मिला

 दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुनील गौर ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका अपने सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले खारिज कर दी थी

चिदंबरम की जमानत खारिज करने वाले जज को ट्रिब्यूनल का शीर्ष पद मिला
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुनील गौर ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका अपने सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले खारिज कर दी थी। उन्हें अब प्रीवेंसन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

गौर ने आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उनकी सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया।

हाईकोर्ट के जज ने 23 अगस्त को अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में प्रथम दृष्टया तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि चिंदबरम ही मुख्य साजिशकर्ता थे।

उन्होंने इस मामले को मनी लांडरिंग का एक विशिष्ट मामला करार दिया, और कहा कि जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।

हाई-प्रोफाइल आईएनएक्स मीडिया मामले में, चिदंबरम कंपनी को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश मंजूरी देने के आरोपी हैं और फिलहाल इस मामले की सीबीआई और ईडी द्वारा जांच चल रही है।

जस्टिस गौर ने कई अन्य हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की है, जिसमें कांग्रेस के एक और शीर्ष नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी शामिल हैं। पुरी एक बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी हैं। गौर ने पुरी की भी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

गौर प्रीवेंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट के अपीलेट ट्रिब्यूनल के शीर्ष पद की जिम्मेदारी 23 सितंबर से संभालेंगे।

गौर ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 1984 में अपने करियर की शुरुआत की और दिल्ली न्यायिक सेवा से 1995 में जुड़े। अप्रैल 2008 में वह हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए और अप्रैल 2012 में स्थायी जज बनाए गए।


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