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पत्रकार राना अय्यूब को मुंबई एयरपोर्ट पर रोका गया

मंगलवार को पत्रकार राणा अय्यूब को मुंबई एयरपोर्ट पर लंदन जाने वाली उनकी फ्लाइट में चढ़ने से रोक लिया गया.

पत्रकार राना अय्यूब को मुंबई एयरपोर्ट पर रोका गया
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इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट ने भी राणा अय्यूब के प्रति समर्थन जताया है. उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, "जानीमानी पत्रकार और मोदी सरकार की आलोचक को तब हिरासत में ले लिया गया जब वह लंदन के लिए विमान में चढ़ने वाली थीं. हम भारत से आग्रह करते हैं कि उन्हें यूरोप की यात्रा करने दें जहां उन्हें कई कार्यक्रमों में ऑनलाइन प्रताड़ना पर बोलना है.”

पिछले महीने भारत के प्रवर्तन निदेशालय ने पत्रकार राणा अय्यूब के बैंक खाते फ्रीज करने का आदेश दिया था. उन पर राहत कार्यों के लिए जमा किए गए धन के दुरुपयोग का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय ने अय्यूब की 1.77 करोड़ रुपये की राशि की जब्‍त की थी. अय्यूब ने मनी लाउंड्रिंग के इन आरोपों को बदनाम करने की साजिश के लिए चलाया जा रहा अभियान बताया था.

यूएन ने बताया था गलत

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था यूएनएचआर ने भारतीय पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ दर्ज मुकदमों को प्रताड़ना बताते हुए भारत से आग्रह किया था कि उन पर सोशल मीडिया पर हो रहे हमलों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

पिछले महीने ही एक बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयुक्त ने कहा कि राणा अय्यूब के खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को फौरन रोका जाना चाहिए. बयान में कहा गया, "विशेषज्ञों का कहना है कि स्वतंत्र खोजी पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता राणा अय्यूब दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा लगातार तेज होते ऑनलाइन हमलों और धमकियों का शिकार बन रही हैं."

अपने विशेषज्ञों के हवाले से आयोग ने कहा, "अय्यूब की जनहित के मुद्दे उठाने और अपनी रिपोर्टिंग के जरिए ताकतवर लोगों से सवाल पूछने की कोशिशों के चलते संगठित ऑनलाइन समूहों ने उन्हें जान से मारने और हत्या तक की धमकियां दी हैं.”

यूएन के ट्वीट के जवाब में एक ट्वीट करते हुए भारतीय अधिकारियों ने सरकार पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है. एक ट्वीट में जेनेवा स्थित यूएन के भारतीय प्रतिनिधियों ने कहा, "कथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप निराधार और गलत हैं. भारत कानून के राज का सम्मान करता है और इस बात का भी कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है.”

रिपोर्ट लिखने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदकों पर पक्षपाती होने का आरोप लगाते हुए भारतीय प्रतिनिधियों ने कहा, "हम विशेष प्रतिवेदकों से निष्पक्ष और सही रूप से सूचित होने की उम्मीद करते हैं. गुमराह करने वाली बात को बढ़ाना संयुक्त राष्ट्र की छवि को ही नुकसान पहुंचाता है.”


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