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आज नरेंद्र मोदी से मिलेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुलाकात करेंगे.

आज नरेंद्र मोदी से मिलेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन
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व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर बताया है कि सोमवार को अमेरिका और भारत के नेताओं की वर्चुअल मुलाकात होगी. इस बैठक में यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होने की संभावना है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, "राष्ट्रपति बाइडेन रूस के यूक्रेन के खिलाफ निर्दयी युद्ध के नतीजों के संदर्भ में और अंतरराष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति व अन्य सामानों के बाजार पर होने वाले इसके प्रभावों को कम करने के लिए सलाह-मश्विरा जारी रखेंगे.”

लगातार दूसरे महीने मुलाकात

व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "दोनों सरकारों, अर्थव्यवस्थाओं और लोगों के बीच संबंधों को और मजबूद करने के लिए राष्ट्रपति जोसेफ आर. बाइडेन जूनियर 11 अप्रैल सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वर्चुअल मुलाकात करेंगे. राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी विभिन्न विषयों पर सहयोग को लेकर चर्चा करेंगे जिनमें कोविड-19 की समाप्ति, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई, वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती और हिंद-प्रशांत में सुरक्षा, लोकतंत्र और संपन्नता बढ़ाने के लिए एक कानून-आधारित, स्वतंत्र और खुली वैश्विक व्यवस्था की मजबूती शामिल होंगे.” दोनों नेताओं के बीच ‘इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क' को लेकर भी बातचीत होगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति पिछले महीने ही भारतीय नेता से मिले थेजब क्वॉड देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की वर्चुअल बैठक हुई थी. उस बैठक में क्वॉड नेताओं ने कहा था कि यूक्रेन जैसी घटना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नहीं होनी चाहिए. बाइडेन-मोदी बैठक में रूस पर भारत के रुख को लेकर चर्चा होने की भी संभावना है.

यूक्रेन पर भारत का रुख अडिग

भारत ने यूक्रेन पर हमले को लेकर अपने पुराने मित्र देश रूस की आलोचना नहींकी है. रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तीनों प्रस्तावों पर मतदान के दौरान भी उसने गैरहाजिर रहने का फैसला किया, जिसे रूस का साथ देने के रूप में देखा गया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि क्वॉड देशों में एक भारत ही है जो रूस के खिलाफ कदम उठाने को लेकर संदिग्ध है. हालांकि भारत सरकार ने दोनों पक्षों से फौरन हिंसा रोकने और बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की है.

यूक्रेन संकट ने भारत को विश्व के दोनों ध्रुवों के बीच अहम भूमिका में ला खड़ा किया है. रूस और अमेरिका दोनों ही भारत को अपने पक्ष में रखने की कोशिशें कर रहे हैं. हालांकि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारत रूस के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों में किसी तरह की कटौती करेगा. उसने हाल ही में कई बड़े समझौते किए हैं.

भारत रूसी सामान के सबसे बड़े खरीददारों मेंसे एक है और अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते रूस के लिए उसकी जरूरत और बढ़ गई है. हालांकि अमेरिका ने भारत को रूस का विकल्प देने की पेशकश की है. हाल ही में अमेरिका के आर्थिक उप सलाहाकर दलीप सिंह भारत के दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने कहा था कि अमेरिका भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए मदद करने को तैयार है.


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