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जलीकट्टू की मांग के बीच प्रदर्शन में उठ रहे राज्य के हित से जुड़े मुद्दे

जलीकट्टू के आयोजन और पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) पर प्रतिबंध की मांग को लेकर चेन्नई के मरीना बीच पर प्रदर्शन कर रहे युवा अपनी मांगों पर अब भी आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं।

जलीकट्टू की मांग के बीच प्रदर्शन में उठ रहे राज्य के हित से जुड़े मुद्दे
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चेन्नई। जलीकट्टू के आयोजन और पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) पर प्रतिबंध की मांग को लेकर चेन्नई के मरीना बीच पर प्रदर्शन कर रहे युवा अपनी मांगों पर अब भी आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। जल्लीकट्ट की मांग के साथ ही प्रदर्शन में राज्य के हित से जुड़े मुद्दे भी उठ रहे हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी के कर्मचारी सी. अशोक ने आईएएनएस से कहा, "जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति के लिए अध्यादेश लाने का राज्य और केंद्र सरकार का फैसला एक कामचलाऊ समाधान है, जबकि इस मसले का कोई स्थायी समाधान होना चाहिए।"

प्रदर्शनकारियों ने आईएएनएस से कहा कि तमिलनाड़ु और तमिलों को कर्नाटक द्वारा कावेरी नदी का पानी देने से इनकार किए जाने और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का ठंडा रवैया, श्रीलंका की नौसेना द्वारा तमिलनाडु के भारतीय मछुआरों पर लगातार हमले, राज्य की राजनीतिक स्थिति और ऐसे ही कई अन्य मुद्दों पर काफी कुछ झेलना पड़ा है, ऐसे में जल्लीकट्टू युवाओं का आक्रोश फूटने का एक कारण बन गया है।

मरीना बीच पर विवेकानंद हाउस के सामने मुख्य तौर पर प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ जुटी है और यहां कई वक्ताओं ने खेतीबाड़ी से लेकर तमिल गौरव, संस्कृति, कोला पेय पदार्थो और फेयरनेस क्रीम्स समेत कई मुद्दों को जोरशोर से उठाया।

इस बीच विरोध प्रदर्शन के प्रतीक के तौर पर पुतला जलाने का विचार स्थगित कर दिया गया, क्योंकि इससे पिछले पांच दिनों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का गलत संकेत जा सकता था।प्रदर्शन के मुख्य स्थल से कुछ मीटर की दूरी पर कई समूहों में लोगों ने जल्लीकट्ट के समर्थन और कोला ड्रिंक्स और राजनेताओं के विरोध में नारेबाजी भी की।

इस पूरे प्रदर्शन में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि युवाओं ने खुद अपने बलबूते राज्य के विकास और हित के लिए बदलाव की मांग करने का फैसला किया है। प्रदर्शनकारियों ने सेलेब्रिटीज और राजनेताओं को इससे दूर रखा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबूमणि रामदास ने आईएएएनएस से कहा, "मैं इस प्रदर्शन से खुश हूं। पिछले दो सालों से मैं चाहता था कि ऐसा अभियान शुरू हो। हालांकि मैं एक राजनेता हूं और प्रदर्शनकारियों ने राजनेताओं को इससे अलग रखा है, लेकिन यह एक अच्छी शुरुआत है।"

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2014 में जल्लीकट्ट के आयोजन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से ही लोग केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति के लिए जरूरी कानूनी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दे दी।


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