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झारखंड में अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन का रास्ता साफ, पेसा कानून की नियमावली को कैबिनेट ने दी मंजूरी

झारखंड सरकार ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन लागू करने के लिए पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) एक्ट, 1996 की नियमावली को मंजूरी दे दी है

झारखंड में अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन का रास्ता साफ, पेसा कानून की नियमावली को कैबिनेट ने दी मंजूरी
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रांची। झारखंड सरकार ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन लागू करने के लिए पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) एक्ट, 1996 की नियमावली को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया।

इसके साथ ही राज्य में वर्षों से लंबित ‘पेसा’ कानून के प्रभावी क्रियान्वयन का रास्ता साफ हो गया है।

कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ''पेसा कानून की नियमावली हम लोगों ने कई स्तरों पर विमर्श और कई विभागों से मंतव्य लेने के बाद बनाई है और इसे आज हमारी कैबिनेट ने झारखंड की जनता को समर्पित कर दिया है। हमें उम्मीद है कि इस कानून से शेड्यूल्ड एरिया के लोगों को बहुत लाभ होगा।''

कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने बताया कि नई नियमावली लागू होने के साथ ही ग्राम सभाओं की भूमिका और अधिकारों में व्यापक विस्तार होगा। इसके तहत सरकार का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों को स्थानीय संसाधनों के संरक्षण और निर्णय प्रक्रिया में वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित करना है। नियमावली के तहत ग्राम सभाओं को अपने क्षेत्र में होने वाले खनन कार्यों पर निगरानी रखने और सहमति देने का अधिकार मिलेगा। भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामलों में भी ग्राम सभा की भूमिका निर्णायक होगी।

इसके अलावा, वन भूमि के संरक्षण, उपयोग और प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों में भी ग्राम सभाओं को कानूनी अधिकार दिए गए हैं। इससे स्थानीय समुदायों की पारंपरिक व्यवस्था, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों पर पकड़ और अधिक मजबूत होने की उम्मीद है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेसा नियमावली की अधिसूचना जारी होते ही कानून प्रभावी रूप से लागू हो जाएगा। विकास योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन में ग्राम सभाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही पारंपरिक ग्राम सभाओं को भी मान्यता दी गई है और उन्हें अपनी परंपराओं व रीति-रिवाजों को अधिसूचित करने का अवसर मिलेगा। पेसा कानून झारखंड के 15 अनुसूचित जिलों में लागू होगा, जहां इसे लंबे समय से लागू करने की मांग उठती रही है।

सरकार के इस फैसले को आदिवासी स्वशासन और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पेसा कानून लागू न किए जाने पर इसी वर्ष सितंबर में बालू घाटों और लघु खनिजों के लीज आवंटन पर रोक लगा दी थी। मंगलवार को भी इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि आज पेसा एक्ट की नियमावली का ड्राफ्ट कैबिनेट में पेश किया जाएगा।


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