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आरएसएस पर सवाल उठाना शिवसेना को शोभा नहीं देता : प्रतुल शाहदेव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100 साल पूरे होने के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है

आरएसएस पर सवाल उठाना शिवसेना को शोभा नहीं देता : प्रतुल शाहदेव
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शाहदेव का हमला- उद्धव ने हिंदुत्व की विचारधारा को तिलांजलि दी

  • आरएसएस के शताब्दी समारोह पर शिवसेना के सवालों से भाजपा नाराज़
  • राष्ट्रवादी संगठन पर टिप्पणी को लेकर भाजपा-शिवसेना में जुबानी जंग

रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100 साल पूरे होने के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इस ऐतिहासिक मौके पर जहां एक ओर संघ के कार्यकर्ता उत्साह के साथ राष्ट्रवादी गतिविधियों में जुटे हैं, वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र ने इस पर सवाल उठाए हैं। इस पर झारखंड भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।

झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने शिवसेना (उद्धव) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि शिवसेना को आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठन की उपलब्धियों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है।

शाहदेव ने कहा, "शिवसेना (उद्धव) को हमें सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं है। कभी शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को 'हिंदुत्व का टाइगर' कहा जाता था, उनकी तस्वीर में पृष्ठभूमि में शेर की छवि होती थी। लेकिन आज उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने उस हिंदुत्व की विचारधारा को तिलांजलि दे दी। टाइगर का बेटा मेमना नहीं, बल्कि लोमड़ी बन गया, जो मौका देखकर पाला बदल लेता है।"

शाहदेव ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बनने की लालसा में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया, जो बालासाहेब की हिंदुत्व की सोच के विपरीत है।

उन्होंने कहा, "उद्धव ठाकरे न घर के रहे, न घाट के। उनकी पार्टी अब पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुकी है।"

शाहदेव ने आगे कहा कि आरएसएस ने हमेशा देश के लिए सकारात्मक योगदान दिया है। चाहे प्राकृतिक आपदा हो, कोरोना महामारी हो, या भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन युद्ध जैसे संकट, आरएसएस के स्वयंसेवकों ने हर बार सरकार और समाज का साथ दिया।

उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिक तक, सभी ने आरएसएस के सेवा कार्यों की सराहना की है। संघ के शताब्दी समारोह के तहत देशभर में रक्तदान शिविर, सामाजिक सेवा कार्यक्रम, और राष्ट्रवादी विचारधारा को बढ़ावा देने वाले आयोजन हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों में युवाओं को जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।


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