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आदिवासी विरोधी है झारखंड की हेमंत सरकार, पूर्व सीएम चंपई सोरेन का आरोप

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने पहली बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खुलकर हमला बोला है

आदिवासी विरोधी है झारखंड की हेमंत सरकार, पूर्व सीएम चंपई सोरेन का आरोप
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हेमंत सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप, चंपई सोरेन ने की सीबीआई जांच की मांग

  • झारखंड में आदिवासी नेता की मौत और भूमि अधिग्रहण पर गरमाई सियासत
  • पूर्व सीएम चंपई सोरेन का हमला: आदिवासियों की जमीन छीन रही है सरकार
  • रिम्स-2 के लिए भूमि अधिग्रहण पर विवाद, चंपई सोरेन ने आंदोलन की चेतावनी दी
  • फर्जी एनकाउंटर और जमीन अधिग्रहण पर सवाल, चंपई सोरेन ने हेमंत सरकार को घेरा

रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने पहली बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खुलकर हमला बोला है। गोड्डा में आदिवासी नेता सूर्या हांसदा के मुठभेड़ में मारे जाने और रांची में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज रिम्स-टू के लिए आदिवासियों की जमीन के अधिग्रहण को लेकर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने हेमंत सरकार को ‘आदिवासी विरोधी’ करार दिया है।

मंगलवार को रांची में अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि चार बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके सूर्या हांसदा गरीब और आदिवासी बच्चों की निःशुल्क शिक्षा के लिए स्कूल चलाते थे। पूर्व सीएम ने कहा कि गरीबों और आदिवासियों के हक की लड़ाई में उनके खिलाफ पुलिस ने कई केस किए और इसके बाद उन्हें फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया।

उन्होंने कहा कि इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए, तभी पीड़ित परिवार को न्याय मिल सकेगा। उन्होंने झारखंड सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि वीर सिदो-कान्हू के वंशजों के साथ बलात्कार के प्रयास करने वालों को संरक्षण मिलता है, जबकि गरीब आदिवासियों पर लाठीचार्ज किया जाता है।

चंपई सोरेन ने सरकार पर आदिवासियों के हितों की अनदेखी और भूमि अधिग्रहण के गैरकानूनी तरीकों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रिम्स-2 के निर्माण के नाम पर आदिवासी किसानों की जमीन को जबरन छीनने की कोशिश की जा रही है, जबकि स्मार्ट सिटी में पर्याप्त सरकारी जमीन उपलब्ध है। उन्होंने पूछा कि जब अस्पताल बनाने के लिए अन्य जगह पर्याप्त भूमि है तो आदिवासियों की उपजाऊ जमीन क्यों ली जा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नगड़ी में किसानों ने पिछले साल तक खेती की थी, लेकिन अब वहां तार की बाड़ लगाकर उन्हें जाने से रोक दिया गया है। उन्होंने सरकार से पूछा कि कौन लोग आदिवासियों की जमीन छीनना चाहते हैं और उन्हें बेघर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विभाग हठधर्मिता नहीं छोड़ता तो वे रिम्स टू के लिए चिन्हित की गई जमीन पर 24 अगस्त को ‘हल जोतो, रोपा रोपो’ आंदोलन में शामिल होंगे और खुद हल चलाएंगे।


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