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झारखंड: ‘अटल मोहल्ला क्लिनिक’ अब मदर टेरेसा के नाम से जाने जाएंगे, हेमंत कैबिनेट का फैसला

झारखंड में सरकार की ओर से संचालित किए जा रहे सभी अटल मोहल्ला क्लिनिक अब मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक के नाम से जाने जाएंगे

झारखंड: ‘अटल मोहल्ला क्लिनिक’ अब मदर टेरेसा के नाम से जाने जाएंगे, हेमंत कैबिनेट का फैसला
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रांची। झारखंड में सरकार की ओर से संचालित किए जा रहे सभी अटल मोहल्ला क्लिनिक अब मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक के नाम से जाने जाएंगे। यह निर्णय गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।

राज्य भर में करीब 140 मोहल्ला क्लिनिक संचालित हैं। इन क्लिनिकों की स्थापना शहरी और ग्रामीण गरीबों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उनके गांवों-मुहल्लों में उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। वहीं, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने इस निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जब भी झारखंड में विकास की दिशा में कोई सकारात्मक पहल होती है, झामुमो सरकार उसे विवाद में घसीटने का प्रयास करती है।

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत और अटल मोहल्ला क्लिनिक जैसी योजनाएं भाजपा की क्रांतिकारी सोच की देन हैं, जिनसे गरीब और आम लोगों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा मिली है, लेकिन हेमंत सरकार इन योजनाओं का नाम बदलकर अपने राजनीतिक एजेंडे को साध रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

अजय साह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी झारखंड राज्य के निर्माता रहे हैं और उनका नाम झारखंड के जन-जन की स्मृतियों में है। ऐसे में उनके नाम को हटाकर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास न केवल भारत रत्न का, बल्कि पूरे झारखंड की आत्मा का अपमान है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि अगर वह नई स्वास्थ्य योजना शुरू करना चाहती है तो उसमें नए नाम रखने की स्वतंत्रता है, लेकिन पहले से स्थापित और लोकप्रिय योजनाओं का नाम बदलना ओछी राजनीति का उदाहरण है।

भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि यह पहला मौका नहीं है जब हेमंत सरकार ने महान राष्ट्रनायकों के नाम बदलने की कोशिश की है। उन्होंने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नाम बदलने के प्रयास का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड की जनता ऐसे फैसलों को कभी स्वीकार नहीं करेगी।

इधर, कैबिनेट ने झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 के ड्राफ्ट को भी मंजूरी दे दी है। इसे मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसके तहत राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालय अब एक समान नियमों के तहत संचालित होंगे। इसके लिए स्टेट यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन का गठन होगा, जो शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति जैसे मामलों को देखेगा। मेडिकल और एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय इसके दायरे से बाहर रहेंगे, जबकि कुलपतियों की आयुसीमा 70 वर्ष तय की गई है।

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार, झारखंड राज्य पुलिस, कक्षपाल, सिपाही (गृह रक्षा वाहिनी), उत्पाद सिपाही संयुक्त भर्ती नियमावली, 2025 को मंजूरी देकर पूर्व में प्रकाशित पुलिस भर्ती विज्ञापनों को रद्द कर दिया गया। नई नियमावली के तहत सभी कोटि के आवेदकों को उम्र सीमा में पांच साल की छूट और पूर्व के आवेदकों को शुल्क में छूट दी जाएगी।

नक्सली घटनाओं या देश की सीमा की रक्षा में शहीद झारखंड निवासी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल कर्मियों के आश्रितों को विशेष अनुग्रह अनुदान और अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी देने का फैसला भी लिया गया। लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण डॉ. कुमारी रेखा (मुसाबनी, जमशेदपुर) और डॉ. रीना कुमारी (सदर अस्पताल, बोकारो) को सेवा से बर्खास्त करने की स्वीकृति भी कैबिनेट ने दी।

कैबिनेट ने राज्य में पूर्व से सृजित 3712 उर्दू सहायक शिक्षक पदों को प्रत्यर्पित करते हुए नए सिरे से कुल 4339 पदों के सृजन की स्वीकृति दी है। प्रथम चरण में इंटरमीडिएट प्रशिक्षित सहायक आचार्य के 3287 पद उर्दू विषय के लिए प्राथमिक विद्यालयों में सृजित किए जाएंगे। इसके साथ ही मध्य विद्यालयों में स्नातक प्रशिक्षित सहायक आचार्य के 1052 पद स्वीकृत किए गए हैं।


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