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झारखंड एसीबी में 211 मामलों की प्रारंभिक जांच लंबित, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, डीजी से मांगी रिपोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में 200 से अधिक मामलों की प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी (पीई) लंबित रहने पर गहरी नाराजगी जताई है

झारखंड एसीबी में 211 मामलों की प्रारंभिक जांच लंबित, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, डीजी से मांगी रिपोर्ट
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रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में 200 से अधिक मामलों की प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी (पीई) लंबित रहने पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि यह चिंता की बात है कि एसीबी में दर्ज 613 पीई में से सिर्फ 480 का निपटारा हुआ है, जबकि 211 मामले अब भी अधर में लटके हैं।

चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान के आधार पर दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एसीबी के महानिदेशक (डीजी) को निर्देश दिया है कि वह व्यक्तिगत तौर पर शपथपत्र दायर कर बताएं कि इन 211 लंबित जांचों को कब तक पूरा किया जाएगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 6 नवंबर तय की है।

सुनवाई के दौरान एसीबी की ओर से पुलिस उपाधीक्षक ने एक शपथपत्र दाखिल किया। इसमें कहा गया कि ब्यूरो पर गोपनीय सत्यापन, खुफिया जानकारी जुटाने और बड़ी संख्या में जांचों का अतिरिक्त बोझ है। इसी कारण कई मामलों में देरी हो रही है, लेकिन हाई कोर्ट ने यह दलील मानने से इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि एसीबी का गठन ही इस उद्देश्य से किया गया था कि वह भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करे, गोपनीय सूचनाओं की जांच-पड़ताल करे और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई शुरू करे, इसलिए काम के बोझ या स्टाफ की कमी का बहाना नहीं बनाया जा सकता।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह तर्क भी स्वीकार्य नहीं है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है, वे अब सेवानिवृत्त हो गए हैं या उनकी मृत्यु हो चुकी है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में भी जांच समयबद्ध तरीके से पूरी की जानी चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।


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