झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने राज्य में एसआईआर की मांग उठाई
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने राज्य में जल्द विशेष मतदाता पुनरीक्षण कराने की मांग की है

चंपई सोरेन ने झारखंड में विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) की मांग की
- झारखंड में जनसांख्यिकीय बदलाव पर सोरेन बोले– SIR कराना जरूरी
- फर्जी वोटर और मृत मतदाता पर सवाल, चंपई सोरेन ने उठाई SIR की मांग
- गोड्डा मुठभेड़ पर चंपई सोरेन का आरोप– आदिवासी नेता की हत्या फर्जी थी
- रिम्स-2 प्रोजेक्ट पर चंपई सोरेन का विरोध– आदिवासी जमीन बचाने का ऐलान
- भूमि अधिग्रहण कानून के उल्लंघन का आरोप, सोरेन ने CBI जांच की मांग की
- 'रिम्स टू' जमीन पर हल जोतेंगे चंपई सोरेन, सरकार की नीति पर सवाल
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने राज्य में जल्द विशेष मतदाता पुनरीक्षण कराने की मांग की है। विधानसभा में पूरक मानसून सत्र की कार्यवाही में शामिल होने पहुंचे सोरेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिस तरह राज्य में जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ है, उसके बाद झारखंड में भी एसआईआर कराना बेहद जरूरी है।
उन्होंने बिहार में एसआईआर का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों की मंशा पर सवाल उठाया। सोरेन ने कहा कि चुनाव आयोग ने कुल 65 लाख वोटर हटाए हैं, जिनमें से करीब 22 लाख ऐसे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। बाकी बचे लोगों में से 7 लाख से ज्यादा लोग एक से ज्यादा जगह पर रजिस्टर्ड वोटर हैं। ऐसे में बाकी बचे 35 लाख लोग कौन हैं? ऐसे लोग सामने क्यों नहीं आते?
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य के गोड्डा में आदिवासी नेता सूर्या हांसदा के मुठभेड़ में मारे जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या की है और सरकार इस मामले की लीपापोती करना चाहती है।
सोरेन ने कहा कि इस घटना की निष्पक्ष जांच सिर्फ सीबीआई से ही संभव है। चंपई सोरेन ने रांची के नगड़ी में रिम्स-2 मेडिकल कॉलेज प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों और मूलवासियों की उपजाऊ जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि सरकार जो कुछ कर रही है, वह भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के नियमों का उल्लंघन है। सोरेन ने सवाल उठाया कि जब राजधानी रांची में कई सरकारी जमीनें खाली पड़ी हैं तो सरकार नगड़ी की खेती योग्य जमीन पर ही अस्पताल क्यों बनाना चाहती है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विकास परियोजनाओं के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि आदिवासी और मूलनिवासी की खेती योग्य जमीन बचाने की लड़ाई जरूर लड़ेंगे। सोरेन ने 24 अगस्त को 'रिम्स टू' के लिए चिन्हित जमीन पर हल जोतने का ऐलान किया है।


