झारखंड : कोरोना के कारण सरहुल शोभायात्रा निकालने को लेकर संशय
कोरोनावायरस के संक्रमण के भय को लेकर रांची में इस साल 27 मार्च को निकलने वाली सरहुल शोभायात्रा पर संशय बरकरार

रांची । कोरोनावायरस के संक्रमण के भय को लेकर रांची में इस साल 27 मार्च को निकलने वाली सरहुल शोभायात्रा पर संशय बरकरार है। इस बीच, रांची उपायुक्त राय महिमापत रे ने आदिवासी संगठनों के साथ बैठक भी की लेकिन प्रशासन और संगठन में सहमति नहीं बन सकी। पड़हा समिति के संरक्षक करमा लिंडा कहते हैं, "सरहुल के दिन शोभायात्रा निकालने की परंपरा काफी पुरानी है। रांची में निकलने वाली यात्रा में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते हैं, ऐसे में शोभायात्रा नहीं निकाले जाने की बात समझ से परे है।"
इधर, गुरुवार को उपायुक्त से हुई बैठक में केंद्रीय सरना समिति के फूलचंद्र टिर्की ने स्पष्ट कहा था कि शहरी क्षेत्रों के लोगों को सूचना माध्यमों से शोभायात्रा नहीं निकालने की सूचना मिल सकती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सूचना देना इतना आसान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकतर संगठन शोभायात्रा निकालने के पक्ष में हैं।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय टिर्की ने कहा, "अभी एक सप्ताह का समय है, इस कारण अभी से ही शोभायात्रा नहीं निकालने का निर्णय लेना सही नहीं है। इस बीच हालांकि बैठक में कुछ लोगों का मानना है कि शोभायात्रा निकालने जरूरी नहीं है। इस वर्ष केवल सरना स्थलों पर सरहलु की पूजा की जाए।"
इस बीच, रांची के उपायुक्त ने कहा "अभी एक सप्ताह का समय है। अगर कोरोना का प्रभाव ज्यादा होगा तो क्षेत्र में धारा 144 भी लगाई जा सकती है। कोरोना को लेकर लगातर निगरानी की जा रही है।" उन्होंने कोरोना के फैलते प्रभाव के मद्देनजर शोभायात्रा कुछ दिन बाद निकालने की अपील की है।
उपायुक्त ने कहा, "पूजा घर पर ही की जाए तो बेहतर है। कोरोना को लेकर अगले कुछ दिन एहतियात बरतने की जरूरत है। संगठन, समाज के गणमान्य व्यक्ति इस संबंध में मंथन करें।"
संगठनों द्वारा अंत में ये निर्णय लिया गया कि फिलहाल सरहुल को लेकर तैयारियां जारी रहेंगी, कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए शोभायात्रा निकाले जाने से कुछ दिन पूर्व इस पर फैसला लिया जाएगा।
इस वर्ष 27 मार्च को प्रातिक पर्व सरहुल है। सरहुल में गाजे बाजे के साथ सांस्कृतिक जुलूस निकालने की परंपरा है।


