Top
Begin typing your search above and press return to search.

झारखंड : मरांडी के भाजपा में जाने की अटकलें तेज

तमाम दावों के बीच राजनीति को संभावनाओं का खेल भी कहा जाता है।

झारखंड : मरांडी के भाजपा में जाने की अटकलें तेज
X

रांची | तमाम दावों के बीच राजनीति को संभावनाओं का खेल भी कहा जाता है। झारखंड में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के करीब सारे 'मजबूत किले' ध्वस्त हो जाने के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी की घर वापसी यानी भाजपा में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं।

सूत्रों का कहना है कि झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के प्रमुख बाबूलाल मरांडी लगातार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। मरांडी फिलहाल रांची में नहीं हैं, परंतु उनके निर्णयों के साथ चलने के लिए झाविमो के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों के बीच रायशुमारी चल रही है।

सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कार्यालय सचिव विनोद शर्मा के पास कई नेताओं ने अपना लिखित पक्ष दिया है। नेताओं ने लिख कर दिया है कि वह (बाबूलाल मरांडी) जो भी निर्णय लेंगे, उसके साथ हैं। कुछ नेताओं ने हालांकि असहमति भी जताई है।

झाविमो के वरिष्ठ नेता और महासचिव जितेंद्र वर्मा ने आईएएनएस के साथ चर्चा में स्वीकार किया है कि पार्टी के नेताओं से मरांडी के निर्णयों के साथ चलने को लेकर रायशुमारी की जा रही है, और इसके के लिए लिखित में विचार मांगा गया है, परंतु अभी भाजपा में विलय को लेकर तय नहीं हुआ है। उन्होंने हालांकि इससे स्पष्ट इंकार भी नहीं किया है।

उल्लेखनीय है कि पांच जनवरी को पार्टी के प्रमुख मरांडी ने झाविमो कार्यसमिति भंग कर दी थी।

सूत्र का कहना है कि मरांडी फिलहाल रांची में नहीं हैं। वह 16 जनवरी को रांची लौटेंगे। इसके बाद भाजपा में जाने की तिथि तय होगी।

झाविमो के विधायक प्रदीप यादव और बंधु टिर्की को लेकर हालांकि असमंजस की स्थिति बनी हुई है। झारखंड में झाविमो के तीन विधायक हैं। विधायक बंधु टिर्की ने आईएएनएस को बताया कि पार्टी का भाजपा में विलय होगा या नहीं होगा यह तो पार्टी अध्यक्ष ही बता पाएंगे। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अध्यक्ष को जो भी निर्णय लेना है, उसे लेना चाहिए।

उन्होंने हालांकि इशारों ही इशारों में यह भी कहा कि पानी और आग साथ नहीं रह सकते। ऐसे में स्पष्ट है कि टिर्की भाजपा के साथ नहीं जाना चाहते। सूत्रों का दावा है कि टिर्की कांग्रेस के संपर्क में हैं।

सूत्रों का यह भी कहना है कि मरांडी अपने दूसरे विधायक प्रदीप यादव को लेकर भाजपा में जाना चाहते हैं।

इस संबंध में जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से दिल्ली में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन चर्चाओं पर वह क्या जवाब देंगे। 'मरांडी की चुनौती' के संबंध में पूछे जाने पर सोरेन कहते हैं कि यह तो पांच वर्ष बाद देखा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि 2000 में बिहार से अलग होकर बने झारखंड के पहले मुख्यमंत्री मरांडी थे। उन्होंने 2003 में इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री पद संभाला। मरांडी ने 2006 में अपनी अलग पार्टी बनाई और तब से वह राज्य में जनाधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

मरांडी की पहचान एक इमानदार आदिवासी नेता की रही है। भाजपा ऐसे आदिवासी चेहरे की तलाश में है, जिसकी पकड़ संथाल में अच्छी हो और हालिया विधानसभा में आदिवासी चेहरा बन सके।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it