Top
Begin typing your search above and press return to search.

झारखंड : बैद्यनाथ मंदिर से निकले फूल-बेलपत्र से बन रहा जैविक खाद

झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर सहित परिसर के 21 मंदिरों में चढ़ाए गए बेलपत्र और फूल अब फेंके नहीं जाते

झारखंड : बैद्यनाथ मंदिर से निकले फूल-बेलपत्र से बन रहा जैविक खाद
X

देवघर। झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर सहित परिसर के 21 मंदिरों में चढ़ाए गए बेलपत्र और फूल अब फेंके नहीं जाते, बल्कि इनको जमाकर उनसे जैविक खाद बनाई जा रही है। इस अनूठी पहल से जहां आसपास के सरकारी कार्यालयों में लगे बगीचे और उद्यानों को जैविक खाद उपलब्ध की जा रही है, वहीं मंदिर प्रांगण के आसपास गंदगी भी कम हो गई है। बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर के सहायक प्रभारी आनंद तिवारी ने बतााया कि कुछ महीनों पहले तक देखा जा रहा था कि भक्तों द्वारा बड़ी मात्रा में चढ़ाए गए बेलपत्र और फूल बर्बाद हो रहे थे या कहीं फेंक दिए जा रहे थे, जिससे भक्तों की आस्था भी आहत होती थी।

इसी समस्या के समाधान के लिए मंदिर प्रबंधन ने इन फूलों और बेलपत्रों से जैविक खाद बनाने की पहल की गई। उन्होंने बताया कि इसके लिए सबसे पहले देवघर कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया गया। इसके लिए एक संयंत्र भी स्थापित किया गया।

देवघर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक पी़ क़े सनीग्राही ने आईएएनएस को बताया, "इसके लिए एक पावर ग्रिड की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर प्रतिदिन मंदिर से 200 किलोग्राम फूल और बेलपत्र निकलते हैं। सावन में यह मात्रा बढ़कर प्रतिदिन 400 से 500 किलोग्राम तक जा पहुंचती है। इसे यहां लाकर पहले सुखाया जाता है, फिर उसके पोषक तत्वों की जांच की जाती है। उसके बाद इससे जैविक खाद तैयार की जाती है।"

एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया कि सामान्य तौर पर एक सौ किलोग्राम फूल-बेलपत्र से 80 किलोग्राम तक जैविक खाद बनकर तैयार होता है। खाद बनाने की विधि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हर दिन आने वाले फूल-बेलपत्रों की छंटनी करने के बाद उसे सुखाया जाता है, उसके बाद उससे जैविक खाद तैयार की जाती है।

यहां तैयार जैविक खाद का 30 किलोग्राम का पैकेट तैयार किया जाता है, जिसे बाजार में भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि इस खाद की कीमत आठ रुपये प्रति किलो तय की गई है।

सूत्रों का कहना है कि एक करार के मुताबिक, जैविक खाद से होने वाली आय का 25 प्रतिशत हिस्सा मंदिर प्रबंधन को देना होता है। उन्होंने कहा कि यह कार्य अभी छह महीने पहले शुरू किया गया है। इस समय खाद की खपत नैयाडीह क्षेत्र में बन रही बागवानी में किया जा रहा है।

बहरहाल, मंदिर प्रबंधन की ओर से शुरू किए गए इस काम से जहां मंदिर प्रांगण सहित आसपास के इलाकों से गंदगी दूर हो गई है, वहीं भक्त भी इस फैसले से खुश हैं।

झारखंड स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल बैद्यनाथ धाम भगवान शंकर के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में नौवां ज्योतिर्लिग है। यह ज्योतिर्लिग सभी ज्योतिर्लिगों में सर्वाधिक महिमामंडित माना जाता है। ऐसे तो यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं, परंतु भगवान शिव के सबसे प्रिय महीने सावन में यहां उनके भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है।

सावन महीने में प्रतिदिन यहां करीब एक लाख भक्त आकर ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक करते हैं। इनकी संख्या सोमवार के दिन और बढ़ जाती है।

शिवभक्त सुल्तानगंज से उत्तर वाहिनी गंगा से जलभर कर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते हैं और भगवान का जलाभिषक करते हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it