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झारखंड हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, 'राज्य में कानून का राज चलेगा या फिर उपद्रवियों का ?'

झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के चान्हो में केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रस्तावित एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल का निर्माण स्थल परिवर्तित किए जाने पर कड़ी टिप्पणी की है

झारखंड हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, राज्य में कानून का राज चलेगा या फिर उपद्रवियों का ?
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रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के चान्हो में केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रस्तावित एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल का निर्माण स्थल परिवर्तित किए जाने पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य में कानून का राज चलेगा या फिर उपद्रवियों का ?

दरअसल, राज्य सरकार ने एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल के प्रस्तावित स्थल पर उपद्रवियों के हंगामे के बाद योजना को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा कि आखिर क्यों और किसकी इजाजत से एकलव्य स्कूल का निर्माण शिलान्यास स्थल के बजाय दूसरी जगह पर किया जा रहा है?

उल्लेखनीय है कि चान्हो नामक जगह पर आवासीय स्कूल के निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया था। राज्य सरकार ने इसके लिए 52 एकड़ जमीन दी थी और केंद्र सरकार ने 5.23 करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया है। लेकिन, कुछ लोगों ने न सिर्फ निर्माण का विरोध किया, बल्कि स्कूल के लिए बनाई गई बाउंड्री भी ध्वस्त कर दी थी।

इस मामले को लेकर गोपाल भगत नामक व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की है।

जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त लहजे में पूछा कि क्या स्कूल निर्माण कर रही कंपनी को अधिकार है कि वह जगह बदल सके? पुराने स्थल पर जहां स्कूल बन रहा था, वहां असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़ी गई बाउंड्री का खर्च कौन उठाएगा? अगर केंद्र सरकार इस खर्च को वहन नहीं कर रही है तो राज्य सरकार किसके पैसे से उसका भुगतान करेगी? पब्लिक मनी का मिसयूज नहीं होना चाहिए।

इस याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा था और दोनों सरकारों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों सरकार के जवाब पर असंतोष जाहिर किया। कोर्ट ने जुर्माना माफ करने का आग्रह भी खारिज करते हुए आदेश दिया कि यह राशि पूर्व सैनिक विधवा कल्याण फंड में जमा की जाए।


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