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कोयला नीलामी का विरोध कर झारखंड सरकार ने राज्य के विकास को अवरुद्ध किया : मुंडा

केन्द्रीय जन जातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून को वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया था, जिनमें से कई खदान

कोयला नीलामी का विरोध कर झारखंड सरकार ने राज्य के विकास को अवरुद्ध किया : मुंडा
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नई दिल्ली । केन्द्रीय जन जातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून को वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया था, जिनमें से कई खदानें झारखंड में है। उन्होंने कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है, जो राज्य के हित में नहीं है। मुंडा ने यहां बुधवार को जारी एक बयान में कहा, "कोयला उत्पादन में बढ़ोत्तरी से विदेशों से होने वाले आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत के आर्थिक विकास में तेजी आएगी। केंद्र सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए कोयला खदानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार ने इस फैसले का विरोध किया और नीलामी शुरू करने के समय पर आपत्ति जताई है।"

उन्होंने आरोप लगाया, "प्रधानमंत्री मोदी के इस अभियान को रोक कर हेमंत सोरेन सरकार झारखण्ड के विकास को अवरुद्ध करने का काम कर रही है। झारखंड सरकार कोयला खदानों की नीलामी के केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंच गई है।"

मुंडा ने कहा कि कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया से राज्य को लाभ होता, लेकिन राज्य सरकार इसका विरोध कर स्वयं के पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है।

मुंडा ने बयान में यह भी कहा, "कोयले के वाणिज्यिक खनन से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने, आयातों पर निर्भरता कम करने, क्षेत्र के आधुनिकीकरण और रोजगार उत्पन्न करने में मदद मिलेगी। यह ऐतिहासिक सुधार देश के प्राकृतिक संसाधनों को खोलेगा, अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा और देश के 5-ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा।"

मुंडा के मुताबिक, यह घोषणा कोयला उत्पादक राज्यों के हित में है। इन राज्यों में बड़ी संख्या में पिछड़े जिले हैं और वे प्रगति और समृद्धि के वांछित स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं। उन्होंने कहा है कि देश के 16 आकांक्षी जिलों में कोयले का बहुत बड़ा भंडार है, लेकिन इन क्षेत्रों के लोगों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल सका है।

उन्होंने कहा है, "इन जिलों के लोगों को रोजगार के लिए दूर-दराज के शहरों में जाना पड़ता है। वाणिज्यिक खनन की दिशा में उठाए गए ये कदम पूर्वी और मध्य भारत में स्थानीय लोगों को उनके घरों के पास रोजगार मुहैया कराने में मददगार साबित होंगे।"



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