झारखंड : मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर सोरेन सरकार को घेरेगी भाजपा
झारखंड में सरकार चला रहे आदिवासी चेहरे हेमंत सोरेन की घेराबंदी के लिए भाजपा ने भी बड़े आदिवासी चेहरे को आगे कर दिया है

नई दिल्ली। झारखंड में सरकार चला रहे आदिवासी चेहरे हेमंत सोरेन की घेराबंदी के लिए भाजपा ने भी बड़े आदिवासी चेहरे को आगे कर दिया है। झारखंड विधानसभा में अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विपक्ष की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी घेराबंदी करेंगे।
चौदह साल बाद घरवापसी करने के एक हफ्ते बाद ही भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को यह अहम जिम्मेदारी देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। इसी के साथ पार्टी फिर से आदिवासी कार्ड के सहारे राज्य की राजनीति को आगे बढ़ाने को मजबूर हुई है। माना जा रहा है कि 2014 में ओबीसी चेहरे रघुवर को मुख्यमंत्री बनाकर खेला गया गैर आदिवासी कार्ड सफल न होने के चलते भाजपा ने रणनीति बदली है।
भाजपा ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत सोमवार को सर्वसम्मति से मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी है। रांची के प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक में उन्हें सहमति से यह जिम्मेदारी देने का फैसला हुआ। विधायक दल की बैठक कराने के लिए दिल्ली से बतौर पर्यवेक्षक पी. मुरलीधर राव और अरुण सिंह पहुंचे थे।
भाजपा को 2019 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। आदिवासियों की नाराजगी भी हार की बड़ी वजह थी। आदिवासी बेल्ट की अधिकांश सीटों पर पार्टी की हार हुई थी। माना जा रहा था कि 2014 में रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाकर खेला गया गैर आदिवासी कार्ड सफल नहीं हुआ। ओबीसी चेहरे रघुवर के मुख्यमंत्री बनाए जाने से आदिवासियों के बीच नाराजगी रही। जमीन आदि से जुड़े रघुवर सरकार के कुछ फैसलों के कारण भी आदिवासियों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई थी, जिसका चुनाव में खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा था। ऐसे में झारखंड में प्रभावी संथाल आदिवासी समुदाय से नाता रखने वाले और राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार 29 दिसंबर को ही बन गई थी। मगर भाजपा ने विधायक दल की बैठक नहीं की थी। इस बीच बीते 18 फरवरी को जब झारखंड विकास मोर्चा का बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में विलय किया तो फिर अगले ही दिन से पार्टी ने विधायक दल की बैठक कराने की कवायद शुरू कर दी थी। पी. मुरलीधर राव को केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया गया था। उसी समय 24 फरवरी को विधायक दल की बैठक कर नेता प्रतिपक्ष चुनने की तिथि तय हुई थी।
बाबूलाल मरांडी के आने के बाद से इस बैठक की तैयारी के बाद माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देने वाली है। आखिरकार बात सच साबित हुई। सोमवार को पार्टी के सभी 25 विधायकों ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना। विधायक अनंत ओझा ने बाबूलाल का नाम प्रस्तावित किया तो केदार हाजरा, नीलकंठ सिंह मुडा और बिरंचि नारायण ने समर्थन किया।
बाबूलाल का पार्टी कर रही थी इंतजार :
झारखंड में देरी से भाजपा विधायक दल की बैठक होने के पीछे बताया जा रहा है कि पार्टी बाबूलाल मरांडी के पार्टी में आने का इंतजार कर रही थी। गृहमंत्री अमित शाह और अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर प्रदेश प्रभारी ओम माथुर बाबूलाल मरांडी को मनाने में जुटे थे। आखिरकार बाबूलाल मरांडी अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के विलय के लिए तैयार हो गए।
बाबूलाल मरांडी वर्ष 2000 से 2003 तक झारखंड के पहले मुख्यमंत्री थे। 2006 में नाराजगी के कारण उन्होंने भाजपा से अलग होकर अपनी अलग पार्टी झारखंड विकास मोर्चा खड़ी कर ली थी। 14 साल बाद बीते 18 फरवरी को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में रांची में हुए मिलन समारोह में उनकी घर वापसी हुई थी। अब पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष बनाकर उन पर अहम जिम्मेदारी सौंपी है।
मरांडी ने नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, "मैं कहीं गया था नहीं था, बाहर संघर्ष कर रहा था, फिर से परिवार में लौट आया हूं।"


