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मसानजोर डैम पर झारखंड-बंगाल के मालिकाना हक का विवाद केंद्र के पास पहुंचा

झारखंड सरकार ने दुमका में स्थित मसानजोर डैम पर झारखंड और बंगाल के बीच मालिकाना हक का विवाद निपटारे के लिए वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल के गठन की मांग करते हुए केंद्र के पास शिकायत दायर की है

मसानजोर डैम पर झारखंड-बंगाल के मालिकाना हक का विवाद केंद्र के पास पहुंचा
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रांची। झारखंड सरकार ने दुमका में स्थित मसानजोर डैम पर झारखंड और बंगाल के बीच मालिकाना हक का विवाद निपटारे के लिए वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल के गठन की मांग करते हुए केंद्र के पास शिकायत दायर की है। सरकार की ओर से यह जानकारी सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट को दी गई। इस मामले को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। सरकार का पक्ष आने के बाद चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका निष्पादित कर दी। कोर्ट ने कहा कि वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल के संबंध में अब केंद्र सरकार को निर्णय लेना है।

निशिकांत दुबे ने याचिका में कहा था कि 1955 में झारखंड की जमीन पर बनकर तैयार हुए इस डैम के पानी से लेकर इससे चलनेवाली पनबिजली परियोजना तक पर बंगाल सरकार का नियंत्रण कायम है। इस डैम का पूर्ण स्वामित्व झारखंड को दिया जाए। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पैरवी की। पूर्व में उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया था कि दुमका का मसानजोर डैम झारखंड की मयूराक्षी नदी पर बना है। मसानजोर डैम के लिए झारखंड के लोगों की जमीन ली गई, लेकिन इसके पानी का उपयोग बंगाल सरकार द्वारा सिंचाई एवं बिजली उत्पादन के लिए किया जा रहा है।

मसानजोर डैम झारखंड में होने के बावजूद यहां के दुमका एवं आसपास के इलाकों में न तो लोगों को सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है और न ही बिजली। बंगाल सरकार द्वारा मसानजोर डैम से दो मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है। झारखंड के लोगों को विस्थापित कर यह डैम बना है, इसलिए इसका सारा कंट्रोल झारखंड को सौंपा जाए। वर्ष 1978 में एक एग्रीमेंट हुआ था, जिसके तहत मसानजोर डैम से एकीकृत बिहार (अब झारखंड) के दुमका आदि जिलों में सिंचाई के लिए पानी दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

मामले में केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की।


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