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जेसीबी से दिन दहाड़े मकान में तोड़फोड़ आक्रोश

सारंगढ़ के वार्ड क्रमांक 4 रायपुर रोड़ में शनिवार की शाम 5 बजे अमूल कानूनगो के मकान में जेसीबी लाकर मकान को तोडऩे का काम सराईपाली से जेसीबी के साथ पहुंचे 5-6 लोगों ने शुरू कर दिया

जेसीबी से दिन दहाड़े मकान में तोड़फोड़ आक्रोश
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सारंगढ़। सारंगढ़ के वार्ड क्रमांक 4 रायपुर रोड़ में शनिवार की शाम 5 बजे अमूल कानूनगो के मकान में जेसीबी लाकर मकान को तोडऩे का काम सराईपाली से जेसीबी के साथ पहुंचे 5-6 लोगों ने शुरू कर दिया।

जब तक आसपास के लोग कुछ समझ पाते जेसीबी ने मकान के छत और दिवार को गिरा दिया। सराईपाली के मृत्युजंय अग्रवाल और दिनेश अग्रवाल के साथ आये 5-6 लोगों की इस दबंगई की शिकायत थाना सारंगढ़ में की गई है।

बताया जा रहा है कि मकान के स्वामित्व को लेकर राजस्व कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है, किन्तु भरे वर्षाकाल में बिना किसी सरकारी आदेश के कानून की धज्जिया उड़ाते हुए मकान को तोड़ने का साहस करते हुए सराईपाली से सारंगढ़ आकर आतंक फैलाने वाले बिना किसी रोकटोक के मकान को जेसीबी से तोडक़र वापस चले भी गये और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पूरे मामले की शिकायत थाना सारंगढ़ में किया गया है किन्तु अभी तक पुलिस ने आरोपियो के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है।

इस मामले मे मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ के वार्ड क्रमांक 4 रायपुर रोड़ स्थित मकान में अमूल्य कानूनगो और उसका भाई आशीष कानूनगो का परिवार रहता था। लगभग 45 वर्षो से निवासरत इस मकान के स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा था। जिसके लिये न्यायालय तहसीलदार सारंगढ़ के पास प्रकरण प्रस्तुत हुआ था तथा तहसीलदार सारंगढ के आदेश से असंतुष्टि के कारण एसडीएम सारंगढ़ में अपील प्रकरण लंबित है।

इस विवादित मकान के नामांतरण के लिये सराईपाली निवासी मृत्युंजय अग्रवाल ने न्यायालय तहसीलदार सारंगढ़ में आवेदन प्रस्तुत किया कि उक्त मकान उनके दादा जी के नाम पर है तथा दादा तथा पिता की मृत्यु हो जाने के बाद उनके नाम पर नामांतरण किया जाये। उक्त मकान का खसरा नंबर 646/2 के संबंध में आवेदन ने आवेदन प्रस्तुत किया है। इसी मकान पर 45वर्षो से सारंगढ़ निवासी अमूल्य कानूनगो तथा उनके भाई आशीष कानूनगो निवासरत है।

कानूनगो परिवार का कहना है कि उक्त मकान को उनके पूर्वजो ने मोतीलाल अग्रवाल से पूरी रकम देकर खरीदा है तथा उसके बाद से ही वे वहा पर निवासरत है। ऐसे मेेे शनिवार को अचानक मृत्युंजय अग्रवाल सराईपाली ने अपने 5-6 साथियो के साथ सराईपाली से जेसीबी लाकर शाम 5 बजे मकान का बिजली कनेक्शन काटते हुए मकान के सामने का हिस्सा को गिरा दिया। तथा पूरे छत को जेसीबी से गिराने लगा। जब घर के अंदर रहने वाले आशीष कानूनगो के परिवारवालो को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होने तत्काल आपत्ति करते हुए मकान को तोडऩे से रोकने का प्रयास किया जिस पर मृत्युंजय अग्रवाल के साथियो ने गुड़ागर्दी करते हुए मारपीट करने का प्रयास किया।

जिसके बाद आसपास के मोहल्लेवालो की भारी भीड़ मकान के पास जमा हो गई तथा मकान तोडऩे का विरोध करने लगी तथा गुड़ागर्दी के खिलाफ जमकर माहौल बनने लगा। जिससे डरकर मृत्युंजय अग्रवाल और उसके साथी मौके से फरार हो गये।

गुड़ागर्दी के साथ दहशत का वातावरण

सारंगढ़ में रायपुर रोड़ पर स्थित इस मकान के संबंधित प्रकरण नामांतरण का मामला राजस्व कोर्ट में विचाराधीन होने के बाद भी जिस गुड़ागर्दी के अंदाज में मृत्युंजय अग्रवालए दिनेश अग्रवाल और उसके साथियो ने सराईपाली से जेसीबी लाकर दहशत का वातावरण फैलाया और घर को बलात तोडफ़ोड़ कर गुड़ागर्दी का परिचय दिया उससे पूरा क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है।

मकान को तोडऩे से रोकने के लिये जब मोहल्लेवालो ने एकत्रित होकर गुड़ों को उनकी भाषा में जवाब देने शुरू किया तो सराईपाली से आये असामाजिक तत्व चुपचाप खिसक लिये। इस दहशतगर्दी और गुडग़र्दी के खिलाफ सारंगढ़ पुलिस के खिलाफ गहरा आक्रोश बना हुआ है।

अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

पूरे मामले में राजस्व अधिकारियो की भूमिका संदिग्ध दिख रही है। सराईपाली निवासी मृत्युंजय अग्रवाल के साथियो का कहना है कि यह मकान उनके दादा जी के द्वारा लिया गया था जिसमे कानूनगो परिवार निवासरत है। तथा नामांतरण का आदेश करवाने के बाद उक्त मकान पर वो कब्जा करना चाह रहा था। किन्तु जब अभिलेखो का अवलोकन किया गया तो पूरा मामला पहली ही नजर में संदिग्ध है।

मृत्युंजय अग्रवाल ने खसरा नंबर 646/2 पर नामांतरण का आवेदन पेश किया किन्तु जिस मकान को तोडफ़ोड़ कर रहा था वह खसरा नंबर 946/2 है। ऐसे में जब नामांतरण का आदेश और तोडफ़ोड़ वाला मकान दूसरा है।

वही नामांतरण प्रकरण में राजस्व अधिकारी ने मनमानी करते हुए दादा और पिता के परिजनों की ना तो सहमति ली है और ना ही उनको कोई नोटिस जारी किया है। उसके परिजन स्वयं कह रहे है कि उक्त मकान विवादित है और बिना किसी कारण से मृत्युंजय अग्रवाल कब्जा करना चाह रहा है।

वही पूरे प्रकरण में अमूल्य कानूनगो और आशीष कानूनगो को ना ही पक्षकार बनाया गया और ना ही इसका कोई पक्ष जाना गया। जबकि कानूनगो परिवार का कहना है कि उक्त मकान को 45 वर्ष पूर्व उनके पूर्वज मोतीलाल अग्रवाल से खरीदकर पूर्ण पैसा चुकता कर खरीदा है तथा बीते 45वर्षो से काबिज है।

वही सिविल न्यायालय या राजस्व न्यायालय के द्वारा कब्जा हटाने या बेदखली का कोई नोटिस आदि भी जारी नहीं किया गया है। साथ ही उक्त नामांतरण प्रकरण एसडीएम न्यायालय में अपील प्रकरण में लंबित है।

ऐसे में शनिवार की शाम को सराईपाली से जेसीबी लाकर मकान तोडऩे का विधि विपरीत काम करने से क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। तथा दोषियो को गिरफ्तार करने की मांग विभिन्न संगठनो के द्वारा किया जा रहा है।


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