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जावड़ेकर ने ईआईए मसौदे पर जयराम की चिंताओं को निराधार बताया

केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सभी सरकारी फैसले संसद और स्थायी समिति की जांच के लिए हमेशा खुले हैं

जावड़ेकर ने ईआईए मसौदे पर जयराम की चिंताओं को निराधार बताया
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नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए), 2020 के मसौदे को वापस लेने की उठी मांगों के बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस सिलसिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को लिखे पत्र में उनकी चिंताओं और सुझावों को निराधार करार दिया है। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सभी सरकारी फैसले संसद और स्थायी समिति की जांच के लिए हमेशा खुले हैं। टिप्पणियों और सुझावों के लिए मसौदा सार्वजनिक है। सुझाव देने के लिए 15 दिन और बचे हैं।

जावड़ेकर ने जयराम रमेश को लिखे पत्र में कहा है, "आपके सभी सुझाव निराधार हैं और गलत सूचनाओं पर आधारित हैं।"

संप्रग सरकार में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे जयराम रमेश ने बीती 25 जुलाई को प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर ईआईए मसौदा 2020 के पांच प्रमुख बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए उसे वापस लेने की मांग की थी। जयराम ने कहा था, पर्यावरण अधिनियम एक अनावश्यक बोझ नहीं है, बल्कि हमारे लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण और सतत विकास के लिए अत्यावश्यक है। विज्ञान और प्रौद्यौगिकी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थाई समिति के अध्यक्ष के रूप में मेरा कर्तव्य है कि मैं पांच आधारों पर ईआईए 2020 अधिसूचना के प्रारूप पर अपनी बड़ी आपत्तियां दर्ज करूं।

जयराम रमेश ने कहा था, "नया मसौदा कार्य पूर्ण होने के बाद भी मंजूरी की अनुमति देता है, जो पर्यावरणीय मंजूरी से पहले होने वाले मूल्यांकन और सार्वजनिक भागीदारी के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। साथ ही इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जो नियमित रूप से अवैधता को वैध करेंगे।"

उन्होंने दूसरा सवाल उठाते हुए कहा कि यह सार्वजनिक भागीदारी की समय-सीमा को कम करने तथा परियोजना की एक बड़ी श्रेणी को पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया में छूट देकर सभी चरणों में सार्वजनिक भागीदारी को कम करता है। वहीं यह विस्तार के बहुत से मामलों में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन को पूरी तरह खत्म कर देता है।

जयरा रमेश ने कहा था कि "नया मसौदा, पर्यावरण की मंजूरी की वैधता को बढ़ाता है, जिससे परियोजनाओं को लंबे समय तक भूमि सुरक्षित करने की अनुमति मिल जाएगी। भले ही वहां निर्माण न चल रहा हो। यह जमीन को हड़पने को बढ़ावा देता है, विकास को नहीं।"

पांचवें बिंदु को लेकर जयराम रमेश ने कहा कि यह केंद्र सरकार को राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिकारियों की नियुक्ति करने का पूर्ण अधिकार देता है, जो कि सहकारी संघवाद के ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि "यह परिवर्तन ऑडिट, एसेसमेट और एनालिसिस पर आधारित नहीं है। ईआईए अधिसूचना 2020 का मसौदा अगर वास्तविकता बन जाता है तो फिर नुकसान होगा।"

मंत्रालय की ओर से मार्च महीने में जारी ईआईए अधिसूचना के नए मसौदे में मौजूदा सड़कों का निर्माण, खनन परियोजनाएं, कारखाने, बिजली संयंत्र आदि शामिल हैं।


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