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जरांगे-पाटिल की महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी, शुक्रवार तक मराठा मांगों का करें समाधान

अपनी भूख हड़ताल के छठवें दिन शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को 14 जून शाम 5 बजे तक लंबित मराठा मांगों पर निर्णय लेने की चेतावनी दी

जरांगे-पाटिल की महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी, शुक्रवार तक मराठा मांगों का करें समाधान
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जालना। अपनी भूख हड़ताल के छठवें दिन शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को 14 जून शाम 5 बजे तक लंबित मराठा मांगों पर निर्णय लेने की चेतावनी दी।

अंतरावली-सरती गांव में भूख हड़ताल पर बैठे जरांगे-पाटिल ने मीडियाकर्मियों से कहा, "बातचीत के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले हैं, लेकिन अगर वे (सरकार) दरवाजे बंद कर देते हैं, तो हम भी उनका अनुसरण करेंगे।"

उन्होंने कहा कि अगर सरकार मराठों और उनकी मांगों की अनदेखी करना चाहती है, तो मराठा भी चुनावों में उनकी अनदेखी करेंगे।

मंगलवार को स्वास्थ्य में आई तेज गिरावट के बाद मराठा नेता ने 12 जून से कुछ तरल पदार्थ और दवाइयां लेना शुरू कर दिया है। हालांकि वे कमजोर दिखाई दे रहे हैं।

इस बीच, लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राज्य सरकार ने विधायक राजेंद्र राउत और सांसद संदीपन भूमरे के साथ मंत्री शंभुराज देसाई व तानाजी सावंत का एक प्रतिनिधिमंडल उनके पास भेजने की घोषणा की है, लेकिन शिवबा संगठन के नेता ने इस पहल पर कोई उत्साह नहीं दिखाया है।

"हम सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन चर्चाओं का समय बीत चुका है और अब कुछ ठोस कार्रवाई का समय है। हमें निर्णय चाहिए। जरांगे-पाटिल ने कहा, मैं हमेशा सकारात्मक रहता हूं, अगर कल शाम तक हमारी मांगों पर निर्णय नहीं लिया जाएगा, तो मैं अपने आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करूंगा।"

गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में, जरांगे पाटिल ने अक्टूबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों में मराठा उम्मीदवार खड़ा करने की चेतावनी देकर सत्तारूढ़ महायुति सरकार और विपक्षी महा विकास अघाड़ी को चिंता में डाल दिया है।

पिछले चार दिनों में शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) और कांग्रेस के एमवीए सांसद बजरंग सोनवाने, ओमराजे निंबालकर, कल्याण काले और कई विधायकों ने जरांगे-पाटिल से मुलाकात की और उन्हें समर्थन दिया। इन नेताओं ने महायुति सरकार पर मराठों के मुद्दे पर उदासीन बने रहने का आरोप लगाया।


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