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जारांगे-पाटिल ने मराठा समुदाय और महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर भूख हड़ताल वापस ले ली और अस्पताल में भर्ती हुए

शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने मराठा समुदाय और महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर सोमवार शाम को अपने गांव अंतरवली-सरती में अपनी 17 दिन लंबी भूख हड़ताल खत्‍म कर दी

जारांगे-पाटिल ने मराठा समुदाय और महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर भूख हड़ताल वापस ले ली और अस्पताल में भर्ती हुए
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जालना (महाराष्ट्र)। शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने मराठा समुदाय और महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर सोमवार शाम को अपने गांव अंतरवली-सरती में अपनी 17 दिन लंबी भूख हड़ताल खत्‍म कर दी।

वह छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल में इलाज के लिए भी गए, जिसके बाद वह मराठा आरक्षण के लिए राज्यव्यापी यात्रा शुरू करेंगे।

यह घटनाक्रम तब हुआ, जब एक दिन पहले उन्होंने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस पर कथित तौर पर उन्हें खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया और उनके आधिकारिक आवास की घेराबंदी करने के लिए मुंबई तक मार्च करने की धमकी दी।

हालांकि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हस्तक्षेप किया और जारांगे-पाटिल को अपनी सीमा पार नहीं करने और मुद्दे का राजनीतिकरण करके किसी भी तरह की समस्याएं पैदा नहीं करने की चेतावनी दी।

जारांगे-पाटिल ने मुंबई जाने की अपनी योजना रद्द कर दी, भूख हड़ताल तोड़ दी, लेकिन घोषणा की कि 'सेज-सोयारे' (पारिवारिक वंश) के तहत मराठों के लिए कोटा हासिल करने का आंदोलन अपने तार्किक अंत तक जारी रहेगा।

सोमवार शाम उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि वह कुछ दिनों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होंगे और फिर नौकरियों और शिक्षा में मराठा आरक्षण के लिए लड़ने के लिए राज्यव्यापी दौरे पर निकलेंगे।

पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र विधानमंडल के एक विशेष सत्र में राज्य सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण विधेयक, 2024 पारित किया, जिसमें मराठों को 10 प्रतिशत कोटा दिया गया।

जारांगे-पाटिल मराठों को 'कुनबी जाति' घोषित करने और उन्हें ओबीसी श्रेणी से अलग कोटा देने, 26 जनवरी को मसौदा जारी होने के बाद 'सेज-सोयारे' के लिए एक औपचारिक अधिसूचना और अन्य मांगों पर अड़े हुए हैं।

इसके साथ ही, आरक्षण आंदोलन में तब दरार आ गई, जब उनके दो सहयोगी अजय महाराज बारस्कर और संगीता वानखेड़े उनके कट्टर आलोचक बन गए। उन्होंने उन पर मराठों के हितों के खिलाफ काम करने, अपना रुख बदलकर सरकार को ब्लैकमेल करने, अहंकार और अपना 'मानसिक संतुलन' खोने समेत अन्य आरोप लगाए।

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी उन पर यह कहकर निशाना साधा कि वह किसी और के लिए 'ट्रम्पेटर' के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के नव-आवंटित चुनाव चिह्न की ओर इशारा किया, जबकि अजित पवार गुट के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह ओबीसी श्रेणी से मराठा कोटा की अनुमति नहीं देंगे।


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