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कोतवाली परिसर में ट्रक चालक मृत पाया गया,पुलिस की लापरवाही उजागर

जांजगीर ! कोतवाली परिसर जांजगीर में एक ट्रक ड्राइवर की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस के अपने तर्क हैं

कोतवाली परिसर में ट्रक चालक मृत पाया गया,पुलिस की लापरवाही उजागर
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दुर्घटना के बाद तीन दिन तक जब्त ट्रक के साथ था थाना परिसर में
जांजगीर ! कोतवाली परिसर जांजगीर में एक ट्रक ड्राइवर की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस के अपने तर्क हैं लेकिन कदम-कदम पर पुलिस की लापरवाही उजागर हो रही है। हादसे के बाद बिना अपराध दर्ज किए तीन दिन तक ट्रक के साथ ड्राइवर को कोतवाली परिसर में रखा गया। न तो उसे गिरफ्तार किया गया और न ही उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज किया गया। ड्राइवर तीन दिन तक ट्रक में ही रहा और आखिरकार चौथे दिन उसने दम तोड़ दिया। पुलिस अब मृतक ड्राइवर को आदतन शराबी बताते हुुए बचने का प्रयास कर रही है। पुलिस का कहना है कि उसके पास से शराब की खाली बोतल भी मिली है।
जिला मुख्यालय में पुलिस की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। कोतवाली परिसर में ट्रक ड्राइवर की मौत सेे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। यह मामला पूरे दिन चर्चा का विषय रहा । बताया जा रहा है कि भण्डारा जिला (महाराष्ट्र) के तुमसर से 38 वर्षीय प्रेमचंद पिता रामभाउ समरित आयरन ओर भर कर ट्रक क्र. सीजी 04 एसजेड 4028 से पीआईएल चांपा आ रहा था। जिला मुख्यालय जांजगीर पार कर ट्रक 2 मई की शाम कुलीपोटा पहुंची ही थी कि विपरीत दिशा से आ रहे वाहन छोटा हाथी क्र. 11 एबी 2170 से टक्कर हो गई। छोटा हाथी वाहन में सवार तीन लोग घायल हो गए। हादसे के बाद घायलों को तुरंत जिला अस्पताल लाया गया। दुर्घटनाकारित ट्रक को थाने में खड़ा कर दिया गया, ट्रक चालक प्रेमचंद भी वाहन के साथ ही रूका था। इस बीच ट्रक मालिक को घटना की सूचना दी गई तो उसने चांपा के अपने स्थानीय सहयोगी लक्ष्मीकांत पाण्डेय को 3 मई को कोतवाली जांजगीर भेजा। इसके बाद 4 मई को ट्रक मालिक ने अपने सुवरवाईजर को थाने भेजा और उसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। इस दौरान ड्राइवर और ट्रक थाना परिसर में ही थे। इधर 6 मई को जब सुपरवाईजर फिर से थाने पहुंचा और ट्रक के पास जाकर देखा तो ड्राइवर प्रेमचंद के नाक से खून बह रहा था और उसकी मौत हो चुकी थी। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया। इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में आ गई है। बिलर अपराध दर्ज किए इस तरह ट्रक व ड्राइवर को कोतवाली परिसर में रखने और ड्राइवर की संदिध परिस्थितियों में मौत से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस मामले को लेकर शहर में तरह-तरह की चर्चाएं होती रही। हालांकि पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारी अब मामले की पूरी पारदर्शिता के साथ जांच कराने की बात कह रहे हैं। डीएसपी अशोक शर्मा का कहना है कि मृतक के सुपरवाईजरों से जो जानकारी मिली उसके अनुसार ट्रक ड्राइवर शराब का आदी था। मामले की जांच पूरी पारदर्शिता की साथ की जाएगी। शव का पीएम दो डाक्टरों से कराया जा रहा है। पूरे जांच की प्रक्रिया की विडियोग्राफी कराई जाएगी।
अत्यधिक शराब सेवन को बताया जा रहा कारण
शार्ट पीएम और पुलिस की मानें तो मौत का कारण अत्यधिक शराब सेवन को बताया जा रहा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि थाना परिसर में जो ड्राइवर तीन दिन तक रहता है वह इतनी अधिक शराब कैसे पी सकता है। पुलिस जब कहीं भी आम स्थान पर शराब पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर थाने के आसपास शराबखोरी करने वाले पर उसकी नजर क्यों नहीं गई, ड्राइवर को शराब कहां से मिलती थी और वह शराब कहां पीता था, पुलिस ने जब उसके खिलाफ तीन दिन तक मामला दर्ज नहीं किया था तो उसे थाना परिसर में ही क्यों रखा गया था। इस तरह के कई सवाल इस मामले में उठ रहे हैं।
आखिर तीन दिन तक क्यों नहीं हुई एफआईआर
इस मामले में सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि तीन दिन तक अपराध क्यों दर्ज नहीं किया गया। ट्रक की दुर्घटना 2 मई की शाम को हुई और उसी समय ट्रक समेत चालक को कोतवाली ले आया गया। इसके बाद न तो दुर्घटनाकारित ट्रक की जब्ती बनाई गई और न ही चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जब ट्रांसपोर्ट कंपनी का सुुपरवाईजर 4 मई को कोतवाली पहुंचा तब जाकर मामला दर्ज किया गया। थानेदार बीएस खुंटिया का कहना है कि हास्पिटल से मेमो नहीं आने के कारण मामला दर्ज नहीं किया गया था। इधर अस्पताल चौकी प्रभारी वीएन दुबे का कहना है कि हादसे के दूसरे दिन ही मेमो भेज दिया गया था।
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