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कोलवाशरी की जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीण लामबंद

जांजगीर ! जिले के बलौदा क्षेत्र को शासन-प्रशासन को लगता है कि कोयला कारोबारियों के लिए ने चारागाह बना दिया है। इस क्षेत्र में पहले से ही पांच कोलवाशरी संचालित है।

कोलवाशरी की जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीण लामबंद
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प्रदूषण से क्षेत्रवासी परेशान, कल होगी जनसुनवाई
जांजगीर ! जिले के बलौदा क्षेत्र को शासन-प्रशासन को लगता है कि कोयला कारोबारियों के लिए ने चारागाह बना दिया है। इस क्षेत्र में पहले से ही पांच कोलवाशरी संचालित है। अब छठवीं कोलवाशरी खोलने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही है। प्रस्तावित कोलवाशरी ठडगाबहरा में स्थापित होनी है, जिसके लिए आगामी 25 मार्च को पर्यावरणीय जनसुनवाई रखी गई है। खास बात यह है कि इस क्षेत्र की जनता पहले से ही संचालित कोलवाशरी के प्रदूषण और क्षेत्र में मौत बनकर दौड़ रहे उनके भारी वाहनों से खासे परेशान है। बावजूद इसके नई कोलवाशरी के लिए शासन की ओर से हरी झंडी मिलना लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
बलौदा विकासखंड क्षेत्र में कोलवाशरी की बढ़ती संख्या ने क्षेत्रवासियों का जीना मुश्किल हो गया है। एक-एक कर खुल चुकी पांच कोलवाशरी से क्षेत्रवासी परेशान हैं। यहां हिंद एनर्जी, महावरी कोलवाशरी सहित पांच कोलवाशरी पहले से ही संचालित हो रही हैं। इन कोलवाशरी के प्रदूषण ने क्षेत्रवासियों को जीना मुहाल कर दिया है। कोलवाशरी के डस्ट से जहां खेतों में लगी फसल चौपट हो रही है। वहीं इनके डस्ट से लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के चपेट में आकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, कोलवाशरी के भारी वाहन दिन-रात बलौदा शहर से होकर गुजर रहे हैं, जो काल बने हुए हैं। कोलवाशरी के भारी वाहनों की चपेट में आकर अकाल मौत का ग्रास बन चुके है। इसके बाद भी शासन-प्रशासन आंख मूंद बैठा है। इधर बलौदा क्षेत्र के ही ग्राम ठडग़ाबहरा में अब एक नई कोलवाशरी शुरू होने वाली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बलौदा के समीपस्थ ग्राम ठडगाबहरा में पारस नामक कोलवाशरी प्रस्तावित है, जिसके लिए आगामी 25 मार्च को पर्यावरणीय जनसुनवाई होनी है। बताया जा रहा है कि इस कोलवाशरी की क्षमता 0.96 मिलियन टन रखी गई है। यह कोलवाशरी पहले से ही संचालित कोलवाशरी हिंद एनर्जी के ठीक समीप शुरू होने वाली है। प्रस्तावित कोलवाशरी की पर्यावरणीय जनसुनवाई के लिए प्रशासनिक तैयारियां शुरू हो गई हैं। वहीं कोलवाशरी के संचालक पिछले एक सप्ताह से क्षेत्र के ग्रामों में घूम-घूमकर पंच-सरपंचों की खुशामद करने में जुटे हुए हैं, ताकि जनसुनवाई के दौरान किसी तरह का हो-हंगामा न हो और जनसुनवाई शांतिपूर्ण तरीके से निपट जाए। बावजूद इसके उनकी रणनीति काम नहीं आ रही है। क्षेत्र में पहले से ही संचालित पांच कोलवाशरी के प्रदूषण से परेशान जनता नई कोलवाशरी खोले जाने का भरसक विरोध करने की तैयारी में हैं। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि बलौदा तथा आसपास के गांवों में वर्तमान में पांच कोलवाशरी संचालित हैं, इसके बाद भी एक और कोलवाशरी के लिए जनसुनवाई करना सरासर गलत है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि कोलवाशरी के प्रदूषण और भारी वाहनों से जहां लोगों की जान जा रही हैए वहीं शासन-प्रशासन को केवल अपना खजाना भरने से सरोकार है। वे यह भी कहते हैं कि आगामी 25 मार्च को जनसुनवाई स्थल पर ऐसा हंगामा करेंगे कि प्रशासनिक अफसरों को उल्टे पांव लौटना पड़ जाएगा। हालांकि कोलवाशरी की जनसुनवाई को लेकर प्रशासन ने भी कमर कस ली है। उग्र आंदोलन अथवा प्रदर्शन को रोकने पुलिस अमले की मदद लेने की योजना बन चुकी है। बहरहालए अब देखना यह होगा कि प्रस्तावित पारस कोलवाशरी की जनसुनवाई आगामी 25 मार्च को शांतिपूर्वक निपटती है या फिर कोलवाशरी के प्रदूषण और भारी वाहनों से त्रस्त जनता अपना आक्रामक रूप दिखाती है।
क्षेत्रवासियों में पनप रहा आक्रोश
बलौदा क्षेत्र आदिवासी इलाका है। इस क्षेत्र के गांवों में रहने वाले ज्यादातर लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं। मगर उनके खेतों के आसपास बहुतायत संख्या में कोलवाशरी खोलकर उन्हें भूखों मारने की स्थिति में लाया जा रहा है। साथ ही प्रदूषण से लोगों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां घर कर रही है। वहीं कोलवाशरी से कोयला लोडक़र निकलने वाले भारी वाहन ग्रामीणों को कुचल रहे हैं। दो-तीन साल के भीतर ऐसे कई हादसे हुए हैं, जिसमें लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। बलौदा शहर की बात की जाए तो यहां के बस स्टैण्ड के आसपास घनी आबादी है। यहां कई स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर संचालित हो रहे हैं। इसलिए यहां बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना होता है। व्यस्ततम मार्ग होने के बाद भी कोलवाशरी के भारी वाहन उसी रास्ते से गुजरते हैं जो आए दिन लोगों को अपनी चपेट में लेते हैं। इसलिए भी क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश है।
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