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अब वाशिंग मशीन में जनार्दन रेड्डी

कर्नाटक के खनन माफिया कहलाये जाने वाले जी. जनार्दन रेड्डी अपने पूर्ववर्ती दल यानी भारतीय जनता पार्टी में लौट आये हैं

अब वाशिंग मशीन में जनार्दन रेड्डी
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कर्नाटक के खनन माफिया कहलाये जाने वाले जी. जनार्दन रेड्डी अपने पूर्ववर्ती दल यानी भारतीय जनता पार्टी में लौट आये हैं। उन्होंने अपनी पार्टी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (केआरपीपी) का भाजपा में विलय भी कर दिया जिसका गठन उन्होंने दिसम्बर 2022 में भाजपा से अलग होकर किया था। वर्षों भाजपा से जुड़े जनार्दन ने लम्बे समय तक पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ मिलकर काम किया था लेकिन 2008 से 2013 के दौरान उन पर अवैध खनन के कई मामले उनकी ही सरकार ने दर्ज किये थे।

सितम्बर 2015 में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें कर्नाटक के बेल्लारी एवं आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में करोड़ों रुपयों के लौह अयस्क का अवैध खनन करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया था। उन्हें कर्नाटक के बेल्लारी जिले के साथ ही आंध्रप्रदेश के अनंतपुर एवं कडप्पा जाने पर प्रतिबन्ध भी लगा था। 2015 से वे जमानत पर हैं। उन पर एक-दो नहीं, सीबीआई के 9 मामले दर्ज हैं। ऐसे खनन माफिया को अपने साथ फिर से जोड़कर भाजपा ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस का उसका नारा कितना खोखला और एकतरफा है। साथ ही, इस कदम ने यह भी दर्शाया है कि सत्ता के लिये भाजपा किसी भी स्तर तक जाकर समझौते कर सकती है।

जनार्दन रेड्डी को फिर से गले लगाना कोई आश्चर्य के रूप में नहीं देखा जा रहा है वरन यह मामला भाजपा द्वारा भ्रष्टाचारियों को साथ लेने की श्रृंखला की एक कड़ी मात्र के रूप में लिया जा रहा है। दोनों ही पक्ष- भाजपा व रेड्डी एक दूसरे से मिलकर जिस तरह से प्रसन्न हैं तथा सहज महसूस कर रहे हैं, उससे साफ है कि ऐसे दल व व्यक्ति ही भाजपा के नैसर्गिक सहयोगी हो सकते हैं। इस आशय का निष्कर्ष जनार्दन के बयान से निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि 'एक अर्से बाद भाजपा कार्यालय में फिर से प्रवेश करते हुए उन्हें ऐसा लग रहा है मानो वे अपनी मां की गोद में लौट आये हैं।' उन्होंने इसे 'अपनी जड़ों की ओर लौटना' भी बतलाया। जनार्दन रेड्डी की घरवापसी यह भी बतलाती है कि नरेन्द्र मोदी किन और कैसे लोगों के बल पर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने तथा भाजपा के लिये 370 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाये हुए हैं। रेड्डी ने कहा कि वे एक कार्यकर्ता के रूप में मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिये काम करेंगे। रेड्डी स्पष्ट करते हैं कि वे भाजपा में किसी पद के लिये नहीं आये हैं और उनका समर्थन बिना शर्त है।

जिन येदियुरप्पा ने बतौर मुख्यमंत्री उन्हें पर्यटन मंत्री से हटा दिया था और नाराज होकर उन्होंने भाजपा छोड़कर अलग दल बनाया था, उनके पुत्र विजयेन्द्र के साथ काम करने का अवसर मिलने पर उन्होंने खुशी जताई है। विजयेन्द्र ने भी कहा है कि 'जनार्दन रेड्डी की घरवापसी से राज्य में भाजपा और मजबूत होगी।' आखिर क्यों न हो? वे भाजपा के लिये आर्थिक मदद देने वालों में से प्रमुख थे। अब फिर से रहेंगे। स्मरण हो कि 1998 में जब बेल्लारी लोकसभा क्षेत्र से सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव लड़ा था तब भाजपा की प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज का प्रचार अभियान सम्भालने वालों में वे प्रमुख थे। कहा जाता है कि वित्तीय पक्ष भी वे ही देखा करते थे। ऐसे व्यक्ति के किसी भी दल में शामिल होने से उसके आर्थिक फायदे क्या हो सकते हैं, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

जनार्दन रेड्डी को इसलिये भी साथ लिया जा रहा है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि उनकी पार्टी ने 2023 के कर्नाटक चुनाव में भाजपा का बड़ा नुकसान किया है- खासकर, उत्तर कर्नाटक में। यह अलग बात है कि विधानसभा में वे अपनी पार्टी के अकेले विधायक हैं- गंगावती विधानसभा क्षेत्र से। उधर तमाम प्रशासकीय नाकामियों एवं इलेक्टोरल बॉन्ड्स सहित कई-कई आरोपों से घिरने के कारण मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ तो गिरा ही है, भाजपा का जनाधार भी तेजी से घटा है। तिस पर भाजपा एवं उसके राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन (एनडीए) को जैसी कड़ी चुनौती संयुक्त प्रतिपक्ष इंडिया के द्वारा मिल रही है, वैसे में मोदी-भाजपा का तीसरी बार केन्द्र में सरकार बनाना लगभग नामुमकिन लग रहा है। ऐसी परिस्थिति में भाजपा एक-एक सांसद पाने के लिये संघर्षरत है। जनार्दन रेड्डी सहित तमाम विवादास्पद लोगों को भाजपा द्वारा जो शामिल किया जा रहा है या उन्हें अपना चुनावी सहयोगी बनाया जा रहा है, उसका कारण लोकसभा-2024 में पराजय का भय है।

यह बात इससे भी साबित होती है कि, जैसा स्वयं जनार्दन रेड्डी ने बतलाया है, उन्हें केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से दिल्ली आने का निमंत्रण मिला था। शाह ने जब उनसे सहयोग मांगा था तो रेड्डी ने उन्हें बाहर से समर्थन देने की पेशकश की थी, परन्तु शाह ने उनकी पार्टी केआरपीपी के भाजपा में विलय पर जोर दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

जनार्दन रेड्डी की पार्टी में वापसी को हेमंता बिस्वा सरमा, शुभेन्दु अधिकारी, जितेन्द्र तिवारी, मुकुल रॉय, अजित पवार, छगन भुजबल, अशोक चव्हाण, नारायण राणे, प्रवीण डारेकर, हार्दिक पटेल आदि की ही कड़ी में देखा जाना चाहिये। खुद येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं जो 2013 में भाजपा छोड़ गये थे लेकिन बाद में लौट आये थे और पुन: सीएम बने थे। इसी कड़ी में भाजपा की वाशिंग मशीन में धुलने अब जनार्दन रेड्डी भी आये हैं। देखना है कि उन पर लगे आरोप कितने दिनों में सीबीआई वापस लेती है और उन्हें क्लीन चिट मिलती है।


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