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शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है जनकपुर

विकासखंड मनेन्द्रगढ़ से लगभग ११० किमी दूर भरतपुर विकासखंड के मुख्यालय जनकपुर के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं

शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है जनकपुर
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मनेन्द्रगढ़/जनकपुर। विकासखंड मनेन्द्रगढ़ से लगभग ११० किमी दूर भरतपुर विकासखंड के मुख्यालय जनकपुर के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं। यहां के लोग लंबे अरसे से जनकपुर को नगर पंचायत का दर्जा दिये जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन इस मामले में न तो जनप्रतिनिधि ही ध्यान दे रहे हैं और न ही अधिकारी।

जिसके चलते प्रदेश की प्रथम विधानसभा का दर्जा प्राप्त भरतपुर सोनहत क्षेत्र के मुख्यालय जनकपुर के लोग काफी परेशानी के बीच जीवन यापन कर रहे हैं।

किसी भी क्षेत्र के विकास के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, मूलभूत सुविधाएं बेहद जरूरी होती हैं। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र के लोगों के लिये ये सब बातें महज सपना ही बनी हुई हैं। इस क्षेत्र में अगर शिक्षा की बात करें तो छात्र छात्राओं के लिये महाविद्यालय तो खोल दिया गया है लेकिन महाविद्यालय में पर्याप्त संख्या में प्राध्यापकों की नियुक्ति नही की गई है

जिसके चलते यहां के छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हैं। क्षेत्र के विकास का दूसरा सबसे बड़ा पैमाना आवागमन के संसाधन होते हैं जिसका जनकपुर क्षेत्र में जनकपुर क्षेत्र में काफी अभाव है। आने जाने के लिये इस वनांचल क्षेत्र के लोगों को ट्रेन की सुविधा कभी मयस्सर नही हो पायेगी ऐसे में यहां के लोगों को प्रायवेट बस संचालकों के भरोसे ही रहना पड़ता है जो पूरी तरह से अपनी सुविधा व मनमानी के अनुसार बसों का संचालन करते हैं।

इन सबके अलावे जनकपुर में सड़कों की जो दुर्दशा है वह किसी से छिपी नही है। पूरे जनकपुर क्षेत्र में जगह जगह सड़कों पर बड़े गड्ढें, सड़कों पर बिखरी पड़ी रेत लोगों के लिये परेशानी का सबब बनी हुई है। जनकपुर में सड़क बनाने के लिये लोग कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को अवगत करा चुके हैं लेकिन जब कोई ध्यान ही नही दे रहा तो थक हार कर लोगों ने इस बारे में आवेदन देना ही बंद कर दिया।

सड़कों की दुर्दशा का आलम यह है कि एक बार बनाने के बाद इसके रख रखाव की ओर कभी ध्यान ही नही दिया गया जिससे पूरी सड़क उखड़ चुकी है फिर चाहे वह लोक निर्माण विभाग तिराहे से स्कूल रोड की ओर जाने वाली सड़क हो या फिर पुराना बस स्टैण्ड अथवा मंदिर की ओर जाने वाली सड़क। सभी जगह सड़क के नाम पर बड़े बड़ेे बोल्डर, छोटे बड़े गड्ढें बने हुये हैं।

रही सही कसर नाली न होने के कारण सड़कों पर बहने वाला गंदा पानी पूरा कर देता है जिससे आम आदमी कैसे निकलता है यह उससे बेहतर भला कौन बता सकता है।

सड़कों के साथ ही साथ क्षेत्र के लोग लंबे अरसे से निकासी के पानी की समस्या से परेशान हैं। कई स्थानों पर आधी अधूरी नाली बनाकर छोड़ दी गई है जिसके चलते खुली नालियों में लोग रात के अंधेरे में गिरकर चोटिल होते रहते हैं। हैरत की बात तो यह है कि सूर्यास्त होने के बाद जनकपुर में घुप्प अंधेरा छा जाता है।


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