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इस बार नवरात्रों में कटड़ा के व्यापारियों को उम्मीद से कम खुशी मिलेगी

नवरात्रों की शुरूआत हो गई है पर अभी भी कटड़ा के व्यापारियों और घोड़े पिट्ठू वालों के चेहरों पर वह खुशी नहीं झलकी है जो अभी हर नवरात्रों में उनके चेहरों पर होती थी। कारण स्पष्ट है। भूस्खलन में करीब 35 श्रद्धालुओं की मौत के उपरांत 23 दिनों तक वैष्णो देवी की यात्रा बंद रही थी और अभी भी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नगण्य इसलिए है क्योंकि रेल मार्ग अभी भी 25 प्रतिशत ट्रेनों को ही ढो रहा है

इस बार नवरात्रों में कटड़ा के व्यापारियों को उम्मीद से कम खुशी मिलेगी
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जम्मू। नवरात्रों की शुरूआत हो गई है पर अभी भी कटड़ा के व्यापारियों और घोड़े पिट्ठू वालों के चेहरों पर वह खुशी नहीं झलकी है जो अभी हर नवरात्रों में उनके चेहरों पर होती थी। कारण स्पष्ट है। भूस्खलन में करीब 35 श्रद्धालुओं की मौत के उपरांत 23 दिनों तक वैष्णो देवी की यात्रा बंद रही थी और अभी भी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नगण्य इसलिए है क्योंकि रेल मार्ग अभी भी 25 प्रतिशत ट्रेनों को ही ढो रहा है।

श्राइन बोर्ड ने भी इसे माना है कि इस बार के नवरात्रों में श्रद्धालुओं की संख्या में अधिक वृद्धि की उम्मीद नहीं है। शनिवार तक 3000 से 4 हजार श्रद्धालु ही आ रहे थे और अब यह संख्या अगर 15 हजार को भी पार कर जाए तो सभी इसे माता की कृपा ही मानेंगें।

दरअसल अभी भी जम्मू कश्मीर को शेष देश से मिलाने वाले राजमार्ग की स्थिति जामभरी है। विजयपुर और सांबा के पास ट्रकों को रोके जाने से लगा जाम तीन दिनों के उपरांत ही खुल पाया था। रेलवे विभाग भी मात्र चार रेलों को चला पा रहा है क्योंकि पंजाब से जोड़ने वाले माधोपुर में चक्की बैंक का पुल अभी भी खतरनाक साबित हो रहा है।

ऐसे हालात में खबरा मौसम जो व्यापारियों का तेल निकाल चुका है अभी भी कभी कभी डराता है जब आसमान पर बादल छा जाते हैं। एक बार यात्रा को शुरू कर खराब मौसम के कारण स्थगित किया जा चुका है। हालांकि अब श्राइन बोर्ड ने यात्रा मित्र भी तैनात किए हैं, जो मौसम के खराब होने पर श्रद्धालुओं की सहायता करेंगें पर कुदरत के कहर से बच पाना कितना संभव होगा कोई कह नहीं सकता।

इतना जरूर था कि कटड़ा रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ पिछले कई दिनों से नजर आ रही है। पर यह भीड़ भक्तों की नहीं बल्कि कश्मीर जाने वालों की है। दरअसल जम्मू श्रीनगर राजमार्ग की तबाहर के बाद रेलवे ने कश्मीर के लिए ज्यादा रेलें चलानी आरंभ की तो कटड़ा के रेलवे स्टेशन पर चहल पहल बढ़ गई थी।


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