जम्मू कश्मीर के विधानसभा सत्र के हंगामेदार रहने के आसार , सरकार से चुनावी वादों का जवाब मांगेगा विपक्ष
कल से श्रीनगर में शुरू होने वाला जम्मू कश्मीर विधानसभा का नौ दिवसीय सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। विपक्ष, सरकार से राज्य का दर्जा, आरक्षण, बेरोजगारी और शासन के मुद्दों पर उसकी एक साल की कार्य रिपोर्ट पर जवाब मांगेगा

जम्मू कश्मीर: विपक्ष द्वारा सरकार पर वादों को लेकर दबाव के बीच विधानसभा सत्र रहेगा हंगामेदार
जम्मू। कल से श्रीनगर में शुरू होने वाला जम्मू कश्मीर विधानसभा का नौ दिवसीय सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। विपक्ष, सरकार से राज्य का दर्जा, आरक्षण, बेरोजगारी और शासन के मुद्दों पर उसकी एक साल की कार्य रिपोर्ट पर जवाब मांगेगा। जिसका वादा सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस ने 2024 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपने घोषणापत्र में किया था।
हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों का कहना है कि वे विपक्षी दलों का सामना करने के लिए तैयार हैं। पार्टी के वरिष्ठ विधायक नजीर गुरेजी ने पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री विपक्ष के दावों का जवाब देंगे और तथ्यों और सबूतों के साथ उनका सामना करेंगे।
हालांकि यह सत्र संक्षिप्त होगा। लेकिन, विपक्षी दल जिनमें 28 मौजूदा विधायक वाली भारतीय जनता पार्टी, तीन विधायकों वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और सज्जाद लोन शामिल हैं, सरकार को उसके घोषणापत्र और विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए वादों से यू-टर्न लेने के मुद्दे पर घेरेंगे। भाजपा विधायक शाम लाल शर्मा ने कहा कि विपक्ष के पास कई मुद्दे हैं जिन पर वह सरकार से जवाबदेही मांगेगा।
विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा कि भाजपा नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार से चुनावी वादों से विश्वासघात के लिए जवाबदेही की मांग करेगी। शर्मा ने कहा कि सरकार चुनावों के दौरान किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है - चाहे वह 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा हो, प्रति परिवार 12 एलपीजी सिलेंडर का वादा हो, या लोगों को दिए गए अन्य आश्वासन हों। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में सरकार की अक्षमता पर सवाल उठाएगी। उन्होंने कहा कि चुनाव में सरकार ने युवाओं के लिए एक लाख नौकरियां पैदा करने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। हम उनसे पूछेंगे कि उन्होंने पिछले एक साल में युवाओं के लिए क्या किया है।
दूसरी ओर, पीडीपी, पीसी और एआईपी जैसी कश्मीर स्थित छोटी विपक्षी पार्टियां राज्य का दर्जा, आरक्षण को तर्कसंगत बनाने और क्षेत्र के अन्य मुद्दों पर आंदोलन कर सकती हैं। जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है, विधानसभा सचिवालय ने पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन द्वारा राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाले प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
इस सत्र में चर्चा का केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले तीन सरकारी विधेयक होंगे। मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 और वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधनों के साथ-साथ जम्मू कश्मीर दुकान एवं व्यवसाय प्रतिष्ठान विधेयक, 2025 को अधिनियमित करने को पहले ही अपनी मंजूरी दे दी है।
इस सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को 450 प्रश्न, 13 निजी सदस्यों के विधेयक और 55 निजी सदस्यों के संकल्प प्राप्त हुए हैं। पिछले विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किए गए 33 निजी सदस्यों के विधेयक सदन में लंबित हैं और 28 अक्टूबर को, जो निजी सदस्यों के संकल्पों के लिए निर्धारित दिन है, उन्हें कार्य में प्राथमिकता दी जाएगी।


