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नेशनल कांफ्रेंस के लिए राजनीतिक संकट, विधानसभा के उप चुनाव में अपने ही नहीं करेंगें प्रचार

प्रदेश में सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस घोर राजनीतिक संकट में फंस गई है। राज्यसभा चुनावों में यहां कांग्रेस सीट शेयरिंग को लेकर नाराज हो चुकी है तो पीडीपी के तीन विधायकों का मूड बदला हुआ है। यही नहीं सरकार को बाहरी समर्थन देने वाले अन्य विधायक भी अब पांसा पलटते नजर आ रहे हैं

नेशनल कांफ्रेंस के लिए राजनीतिक संकट, विधानसभा के उप चुनाव में अपने ही नहीं करेंगें प्रचार
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जम्मू। प्रदेश में सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस घोर राजनीतिक संकट में फंस गई है। राज्यसभा चुनावों में यहां कांग्रेस सीट शेयरिंग को लेकर नाराज हो चुकी है तो पीडीपी के तीन विधायकों का मूड बदला हुआ है। यही नहीं सरकार को बाहरी समर्थन देने वाले अन्य विधायक भी अब पांसा पलटते नजर आ रहे हैं। यही नहीं अगले महीने 2 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा के उप चुनावों में उसके अपने ही प्रचार करने से इंकार कर रहे हैं।

अब सच सामने आ गया है कि जम्मू कश्मीर प्रदेश की राज्यसभा में चार सीटों के लिए होने वाले मतदान से पीपुल्स कान्फ्रेंस दूर रहेगी। इसकी पुष्टि मंगलवार को स्वयं पीसी चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने करते हुए कहा कि कोई कुछ भी कहे, लेकिन मैं नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उम्मीदवार को कभी वोट नहीं दूंगा।

आज यहां पत्रकारों से बातचीत में सज्जाद गनी लोन ने कहा कि मैं कभी भी नेकां को वोट नहीं दूंगा। अगर मैं नेशनल कांफ्रेंस को वोट दूंगा तो अपने कार्यकताओं का, कश्मीर की जनता का सामना कैसे करुंगा। हम नेकां के गुलाम नहीं हैं जो उकसावे और बहकावे में आएं। वे कहते थे कि मौजूदा नेशनल कांफ्रेंस की सरकार, जम्मू कश्मीर में अब तक की सबसे विफल सरकार है। अगर अगर कांग्रेस या कोई अन्य पंथनिरपेक्ष दल अपना उम्मीदवार उतारता, तो मैं उसे वोट देता।

यही नहीं निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए मतदान की शर्तों ने कांग्रेस के भीतर क्रास-वोटिंग की संभावना को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं। एक कांग्रेसी नेता ने सवाल किया कि जब हम सत्ता में नहीं हैं और सिर्फ बाहरी समर्थन दे रहे हैं, तो हम निर्दलीय उम्मीदवारों पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?

जानकारी के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाले 53 विधायकों में से पांच निर्दलीय हैं। चुनाव नियमों के अनुसार, निर्दलीय विधायकों को अपने चिह्नित मतपत्र दिखाने की आवश्यकता नहीं होती, जबकि पार्टी से जुड़े विधायकों को अपने वोट अधिकृत एजेंटों को दिखाने होते हैं।

इस बीच एक और राजनीकि झटके के तौर पर बडगाम विधानसभा सीट का उपचुनाव सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। पार्टी के बागी नेता और श्रीनगर-बडगाम संसदीय क्षेत्र के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी बातों का जवाब नहीं मिलेगा, वे चुनाव प्रचार में भाग नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि वे केवल एक मतदाता के रूप में चुनाव में भाग लेंगे।

उन्होंने अपने राजनीतिक सिद्धांतों और वैचारिक प्रतिबद्धताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि वे अपने सिद्धांतों को नहीं तोड़ना चाहते। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर आरोप लगाया कि वह चुनावी वादों को पूरा करने में असमर्थ रहा है। मतदाताओं के साथ जुड़ाव विश्वास और जवाबदेही पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि वे अपने वोट का मालिक हैं और स्वतंत्र रूप से निर्णय लेंगे। आगा सैयद रुहुल्ला ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी चिंताओं का समाधान नहीं होता, वे चुनाव प्रचार में शामिल नहीं होंगे। उनका निर्णय सिद्धांत पर आधारित है, न कि राजनीतिक रणनीति पर।


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