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उमर अब्दुल्ला और मनोज सिन्हा के बीच खराब शासन व्यवस्था को लेकर तीखी नोकझोंक जारी

प्रदेश में शासन चलाने में क्या मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों का बंटवारा परेशानी का कारण बना हुआ है? फिलहाल मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच आरंभ हुआ वाक्युद्ध यही दर्शाता है

उमर अब्दुल्ला और मनोज सिन्हा के बीच खराब शासन व्यवस्था को लेकर तीखी नोकझोंक जारी
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जम्मू कश्मीर के सीएम और उपराज्यपाल के बीच खराब शासन व्यवस्था को लेकर हुई नोकझोंक

जम्मू। प्रदेश में शासन चलाने में क्या मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों का बंटवारा परेशानी का कारण बना हुआ है? फिलहाल मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच आरंभ हुआ वाक्युद्ध यही दर्शाता है।

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच खराब शासन व्यवस्था को लेकर तीखी नोकझोंक मतेज हो गई है। इसका दोष राज्य का दर्जा बहाल करने में हो रही देरी को दिया जा रहा है।

सिन्हा कहते थे कि खराब शासन और प्रशासन में विफलता इसलिए नहीं है क्योंकि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं है। यह खराब नेतृत्व के कारण है; राज्य का बहाना बनाना वर्तमान सरकार द्वारा पेश किया जा रहा उचित तर्क नहीं है।

एलजी सिन्हा के बयान के बारे में पूछे जाने पर, उमर अब्दुल्ला कहते थे कि उन्हें बयान के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने उपराज्यपाल के साथ वाक्युद्ध में पड़ने से इनकार कर दिया, उन्होंने कहा कि वह बयान पढ़ने के बाद ही जवाब देंगे। पर पिछले कुछ महीनों से उनके द्वारा की जा रही बयानबाजी यह साबित करती थी कि उनके द्वारा वायिुद्ध आरंभ किया जा चुका है।

एसकेआईसीसी में, उप राज्यपाल ने कहा था कि जम्मू कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा न होने को खराब प्रदर्शन के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि निर्वाचित सरकार के पास सभी शक्तियां हैं। जवाब में मुख्यमंत्री ने टिप्पणी करने से परहेज किया लेकिन आश्वासन दिया कि मनोज सिन्हा ने जो कहा है, उसके अनुसार वह जवाब देंगे।

उमर अब्दुल्ला कहते थे कि सबसे पहले मैं उन शब्दों को देखना चाहूंगा जो उन्होंने इस्तेमाल किए हैं, क्योंकि उन्होंने जो कहा है और जो आप कह रहे हैं उसमें अगर अंतर है तो अगर मैं कुछ गलत कहूंगा तो अच्छा नहीं होगा।

दरअसल जम्मू कश्मीर के लोग समझते हैं कि जब जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक मामलों को विनियमित करने की बात आती है तो उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच महत्वपूर्ण मतभेद होते हैं। चुनी हुई सरकार होने के बावजूद लोगों का दुख अभी तक खत्म नहीं हुआ है।

पर इतना जरूर था कि लोगों ने अक्सर अपने दैनिक जीवन से जुड़े मुद्दों के लिए उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच चक्कर लगाने की शिकायत की है। स्थानीय लोग दो सत्ता केंद्रों के बीच फंस गए हैं, जिसके बारे में कई लोगों का मानना है कि इससे जम्मू-कश्मीर में समग्र मामले बर्बाद हो रहे हैं।

इससे पहले शुक्रवार को उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा न मिलने को खराब प्रदर्शन के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि निर्वाचित सरकार के पास सभी शक्तियां हैं। और वे स्पष्ट करते थे कि राज्य का दर्जा देने के प्रति गृहमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं।


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