इस बार भी बिना बिजली के बीतेगी कश्मीर में सर्दी, स्थानीय जल विद्युत उत्पादन में लगभग 45 प्रतिशत की गिरावट
इस बार जल्दी आई सर्दी कश्मीरियों के लिए कई परेशानियों के साथ ही बिजली के मोर्चे पर भी एक नई परेशानी लेकर आई है क्योंकि बिजली विभाग ने अभी से पावर कट के इरादे जता दिए हैं

जम्मू। इस बार जल्दी आई सर्दी कश्मीरियों के लिए कई परेशानियों के साथ ही बिजली के मोर्चे पर भी एक नई परेशानी लेकर आई है क्योंकि बिजली विभाग ने अभी से पावर कट के इरादे जता दिए हैं। दरअसल बिजली विभाग का कहना है कि स्थानीय संयंत्रों से जल विद्युत उत्पादन में लगभग 500 मेगावाट की कमी आई है।
लोगों को चेताते हुए बिजली विभाग के अधिकारी कहते थे कि फिलहाल, हम औसतन लगभग 500-600 मेगावाट बिजली पैदा कर रहे हैं। बगलिहार बिजली परियोजना से, हम औसतन लगभग 300 मेगावाट बिजली पैदा कर रहे हैं। यह भी मशीनों के संचालन पर निर्भर करता है।
अधिकारी कहते थे कि पीक सीजन के दौरान, हम जम्मू और कश्मीर के बिजली संयंत्रों की कुल 1197.4 मेगावाट उत्पादन क्षमता से 1100 मेगावाट से अधिक बिजली पैदा कर रहे थे।
इसमें यह भी कहा गया है कि जल स्तर कम होने के कारण कश्मीर की कुछ छोटी बिजली परियोजनाएं आमतौर पर अक्टूबर महीने में बिजली उत्पादन नहीं कर पाती थीं, लेकिन इस साल जम्मू-कश्मीर में देर से आए मानसून के कारण, वे पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
अधिकारी कहते थे कि केंद्र से 800 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आवंटित की गई है। उनका कहना था कि इस वर्ष से, हमारे पास केंद्रीय पूल से 1300 मेगावाट है। हमने अन्य राज्यों के साथ बैंकिंग शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि फरवरी के तीसरे सप्ताह तक, जल विद्युत उत्पादन में भारी कमी के बीच जम्मू कश्मीर 85 प्रतिशत से अधिक कोयले और सौर ऊर्जा पर निर्भर है।
पीडीडी विभाग के अधिकारियों ने दावा किया था कि स्थानीय बिजली संयंत्रों से स्थानीय जल विद्युत उत्पादन लगभग 90 प्रतिशत कम हो गया है। एक अधिकारी का कहना था कि वर्तमान में जम्मू कश्मीर 85-90 प्रतिशत कोयले और सौर ऊर्जा पर निर्भर है, जो अन्य राज्यों से खरीदी जा रही है क्योंकि अभी हमारे पास स्थानीय बिजली उत्पादन नहीं है।
अधिकारी कहते थे कि सर्दियों में जम्मू कश्मीर के बिजली संयंत्रों का स्थानीय जल विद्युत उत्पादन लगभग 90 प्रतिशत कम हो जाता है और आवश्यक बिजली की मांग को पूरा करने के लिए, हमें एक आधार बिजली उपलब्धता की आवश्यकता होती है जिसे हम बाहरी राज्यों से खरीदते हैं। ऊर्जा कोयला आधारित है।


