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फिर से दो राजधानियों वाला प्रदेश बनेगा जम्मू कश्मीर, मुख्यमंत्री उमर ने दरबार मूव की बहाली की घोषणा की

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चार साल से ज्यादा समय के अंतराल के बाद पारंपरिक द्विवार्षिक ’दरबार मूव’ की बहाली की घोषणा की। उपराज्यपाल ने द्विवार्षिक दरबार मूव की इस प्रथा पर रोक लगा दी थी

फिर से दो राजधानियों वाला प्रदेश बनेगा जम्मू कश्मीर, मुख्यमंत्री उमर ने दरबार मूव की बहाली की घोषणा की
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जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चार साल से ज्यादा समय के अंतराल के बाद पारंपरिक द्विवार्षिक ’दरबार मूव’ की बहाली की घोषणा की। उपराज्यपाल ने द्विवार्षिक दरबार मूव की इस प्रथा पर रोक लगा दी थी।

एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने सदियों पुरानी इस प्रथा को फिर से शुरू करने की मंज़ूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि फाइल उपराज्यपाल को भेजी गई थी और उसे मंज़ूरी मिल गई है। सरकार जल्द ही इस प्रथा को फिर से शुरू कर रही है। कैबिनेट ने इस साल सितंबर में पूर्ण दरबार मूव की वापसी की सिफारिश की थी।

दरअसल उपराज्यपाल ने 2021 में सरकारी खजाने में लगभग 200 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत का हवाला देते हुए इस प्रथा को समाप्त कर दिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लगातार इस परंपरा को बहाल करने का संकल्प लिया है।

जानकारी के लिए पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि दरबार मूव को बहाल किया जाएगा। जम्मू का अपना महत्व है और हम इसकी विशिष्टता को कम नहीं होने देंगे। उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने भी इस कदम का समर्थन किया था और जम्मू की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया था।

उन्होंने कहा था कि दरबार मूव ने होटलों, परिवहन और स्थानीय उद्योगों के लिए व्यवसाय उत्पन्न करके रोजगार और आजीविका को बढ़ावा दिया। हालांकि केवल सरकारी नौकरियां सभी की रोजगार की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती थीं, लेकिन इस परंपरा ने वैकल्पिक अवसर पैदा किए।

उन्होंने आगे जोर देकर कहा था कि यह प्रथा मूल रूप से डोगरा महाराजाओं द्वारा जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के बीच आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए शुरू की गई थी। उन्होंने आगे कहा था कि हमारी सरकार इस विरासत का सम्मान करती है और अपने लोगों की समृद्धि के लिए इसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

जानकारी के लिए ‘दरबार मूव’ की परंपरा को आधिकरिक तौर पर वर्ष 2021 से ‘बंद’ किया जा चुका है, उसके प्रति सच्चाई यह है कि यह गैर सरकारी तौर पर लगभग 500 कर्मियों के साथ फिलहाल जारी है। ये कर्मी पिछले 4 सालों से उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और वित्त विभाग के वित्त आयुक्त, सामान्य प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव तथा पुलिस महानिदेशक के कार्यालयों में लिप्त कर्मी हैं जो दोनों राजधानियों में आ-जा रहे थे।

जम्मू में मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों के साथ ही उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का दरबार सजाने के लिए नागरिक सचिवालय से लेकर राजभवन में साज सज्जा व मरम्मत कार्य कर बार मार्च और अक्तूबर में शुरू हो जाता है। इतना जरूर था कि ‘दरबार मूव’ की परंपरा को बंद करने का समर्थन मात्र मुट्ठीभर उन लोगों द्वारा ही किया गया था जो एक राजनीतिक दल विशेष से जुड़े हुए हैं जबकि जम्मू का व्यापारी वर्ग इससे दुखी इसलिए है क्योंकि इतने सालों से कश्मीर से दरबार के साथ सर्दियों में जम्मू आने वाले लाखों लोगों पर उनका व्यापार निर्भर रहता था। जो अब उनसे छिन चुका है।


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