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जम्मू-कश्मीर : आरक्षण नीति को लेकर विवाद जारी, आगा रूहुल्लाह, वहीद-उर-रहमान पारा, इल्तिजा मुफ्ती नजरबंद

जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर जारी विवाद के बीच प्रशासन ने रविवार को छात्रों और राजनीतिक दलों के नियोजित विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के मद्देनजर सख्त कदम उठाते हुए शहर के संवेदनशील इलाकों को सील कर दिया और आगा रूहुल्लाह, वहीद-उर-रहमान एवं इल्तिजा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया

जम्मू-कश्मीर : आरक्षण नीति को लेकर विवाद जारी, आगा रूहुल्लाह, वहीद-उर-रहमान पारा, इल्तिजा मुफ्ती नजरबंद
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आरक्षण विवाद: जम्मू-कश्मीर में आगा रूहुल्लाह, वहीद-उर-रहमान पारा, इल्तिजा मुफ्ती नजरबंद

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर जारी विवाद के बीच प्रशासन ने रविवार को छात्रों और राजनीतिक दलों के नियोजित विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के मद्देनजर सख्त कदम उठाते हुए शहर के संवेदनशील इलाकों को सील कर दिया और आगा रूहुल्लाह, वहीद-उर-रहमान एवं इल्तिजा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया।

सामान्य श्रेणी या ओपन मेरिट के छात्रों ने आरक्षण नीति के बदलाव में हो रही देरी के विरोध में रविवार को श्रीनगर में धरने का ऐलान किया था। सूत्रों के अनुसार, नेशनल कांफ्रेंस के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी, वरिष्ठ पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान पारा और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती को सुबह नजरबंद कर दिया गया। प्रशासन ने न केवल इन नेताओं की आवाजाही पर रोक लगायी बल्कि उनके घरों के बाहर अतिरिक्त पुलिस और अर्धसैनिक बल भी तैनात किये।

मेहदी के कार्यालय ने एक कड़ा बयान जारी करते हुए कहा, "पुलिस ने आधिकारिक तौर पर सम्मानित सांसद को गिरफ्तार कर लिया है। हमें सूचना मिली है कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है और उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। देर रात हमें यह भी खबर मिली कि कई छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस उनके परिवारों को धमका रही है। यह सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि वे एक निष्पक्ष, उचित और तर्कसंगत आरक्षण नीति की मांग कर रहे हैं।"

कार्यालय के अनुसार, छात्रों की सिलसिलेवार गिरफ्तारियां पूरी रात जारी रहीं और उन पर कथित दबाव बनाया गया जो विरोध के माहौल को दबाने का स्पष्ट प्रयास है।

इस बीच, इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर प्रशासन की कार्रवाई पर गुस्सा व्यक्त करते हुए लिखा, "कई अन्य लोगों की तरह मैं भी आज श्रीनगर में नजरबंद हूं। सुरक्षा एजेंसियों की अनिश्चितता और भय की मानसिकता की कोई सीमा नहीं है। यही नये कश्मीर की 'सामान्य स्थिति' है। मुझे बाहर जाने से रोकने के लिये मेरे गेट पर महिला पुलिसकर्मियों का एक बड़ा दल तैनात है। क्या कोई मुझे बता सकता है कि यह सब किस कानून के तहत हो रहा है?"

मुफ्ती ने कहा कि ये उपाय लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं और जनता की आवाज को दबाने का जानबूझकर किया गया प्रयास है। पीडीपी विधायक वहीद पारा ने एक विस्तृत बयान जारी करते हुए आरोप लगाया कि आरक्षण नीति का संकट एक 'अस्तित्वगत समस्या' बन गया है, जो युवा पीढ़ी के भविष्य की नींव को हिला रहा है। पारा को उनके श्रीनगर आवास से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं दी गयी।

उन्होंने एक्स पर लिखा, "आरक्षण नीति हमारे युवाओं के भविष्य के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है। हम पिछले एक साल से छात्रों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं। हम विद्यार्थियों के साथ उनके आवास के बाहर इकट्ठा होते रहे, लेकिन इस दौरान सरकार की ओर से इस मुद्दे को सुलझाने का कोई इरादा नहीं था। इस उपेक्षा ने युवाओं की चिंता और अनिश्चितता को कई गुना बढ़ा दिया है।"

इससे पूर्व, श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद अज़ीम मट्टू ने कहा कि छात्रों के धरने में उनके शामिल होने से पहले उनके घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस और सीआरपीएफ तैनात की गयी थी। उन्होंने एक्स पर कहा, "छात्रों के खिलाफ भेदभाव की नीति न्याय मांगने वाली आवाज़ों को दबाकर न तो सही हो सकती है और न ही स्थायी। मैं छात्रों के साथ खड़ा हूं।" नेताओं को नज़रबंद किये जाने पर पुलिस की ओर से कोई बयान नहीं आया है।

जम्मू-कश्मीर में सामान्य श्रेणी के छात्र आरक्षण नीति का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि 40 प्रतिशत से भी कम सीटें अनारक्षित हैं जबकि 60 प्रतिशत से ज़्यादा सीटें आरक्षित हैं। छात्रों के लगातार दबाव के बाद उमर अब्दुल्ला सरकार ने एक कैबिनेट उप-समिति बनायी थी। इसकी सिफारिशों को अब कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी है और अंतिम मंज़ूरी के लिये उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास भेजा गया है।


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